‘भारत कोकिला’ सरोजिनी नायडू अपने बारे में एक संस्मरण सुनाया करती थीं, जिसे सुनकर श्रोता जमकर कहकहे लगाते थे।
हुआ दरअसल यह कि असहयोग आंदोलन के दौरान एक बार उन्हें प्रवासी भारतीयों से संवाद स्थापित करने के सिलसिले में पूर्वी अफ्रीका भेजा गया। वहां पर प्रवासी खोजा संप्रदाय के लोगों ने एक बड़ी सभा का आयोजन किया। इस सभा में उनका अभिनन्दन किया गया। प्रमुख वक्ता वहीं के एक समृद्ध खोजा व्यवसायी थे। चूंकि, उनका अंग्रेजी ज्ञान सीमित था, अत: वहीं के एक शिक्षक ने अभिनन्दन पत्र का मसविदा तैयार किया।
उक्त शिक्षक ने एक स्थान पर सरोजिनी नायडू को उनके बहुचर्चित लोकप्रिय नाम ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ से संबोधित किया। खोजा व्यवसायी सज्जन जब अभिनन्दन पत्र पढ़ते-पढ़ते इस शीर्षक तक पहुंचे तो वह लड़खड़ा गए। कारण यह था कि आज तक यह शब्द उनके सुनने में नहीं आया था। वह इस शब्द पर आकर अटक गए। फिर भी, उन्होंने अपनी बुद्धि लगाई और उसका अर्थ निकालकर पढ़ा, ‘नॉटी गर्ल ऑफ इंडिया’। उनके मुंह से यह शब्द निकलना था कि सभा में कहकहे लगने लगे।
बाद में जब कभी सरोजिनी नायडू यह संस्मरण सुनाती तो सुनने वाले अपनी हंसी न रोक पाते और खोजा व्यवसायी के इस भोलेपन पर जमकर कहकहे लगाते।
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