आगरा में स्थानीय पर्यटन उद्योग लगातार संघर्ष कर रहा है। अपने बहुमूल्य स्मारकों और रोमांचकारी आकर्षणों के बावजूद, शहर को विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने इसके लिए अप्रभावी विपणन रणनीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
दो दशकों में यहां विदेशी पर्यटकों की आमद उतनी नहीं बढ़ी है, जितनी दुनिया के अन्य पर्यटन स्थलों पर देखी गई है। मालदीव, श्री लंका, थाईलैंड, और दुबई भी, दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं, लेकिन आगरा लगातार पिछड़ रहा है।
आगामी 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस है। आगरा नए पर्यटन सीजन के लिए तैयार हो रहा है। टूरिज्म उद्योग के प्रतिनिधि तमाम बाधाओं और बुनियादी ढांचे की कमियों के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं, जो विशेष रूप से कोविड महामारी के बाद नकारात्मक प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे थे।
पिछले दो वर्षों में सुधार की उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। इसमें लगातार गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। महामारी से पहले, शहर में सालाना लगभग सात से आठ मिलियन पर्यटक आते थे। अभी भी लगभग उतने ही हैं।
होटल व्यवसायियों ने घरेलू आगंतुकों के व्यवहार में बदलाव देखा है, जो अब लंबे समय तक रहने के बजाय आगरा में दिन की यात्रा करना पसंद करते हैं। आगरा के लिए सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें उपलब्ध न होने के चलते मामला और जटिल हो गया है। इसके कारण अधिकांश विदेशी पर्यटक दिल्ली में ठहरने का विकल्प चुनते हैं, जबकि दिन में आगरा के लिए सड़क या शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस सेवाओं के माध्यम से ट्रेन से यात्रा करते हैं।
अनमोल स्मारकों और आकर्षक स्थलों के खजाने का घर होने के बावजूद, आगरा विदेशी पर्यटकों को खींचने में क्यों संघर्ष करता है, यह शोध का विषय बना हुआ है।
पर्यटन का ताज-केंद्रित फोकस कई अन्य स्मारकीय आकर्षणों की उपेक्षा का कारण बना है। स्थानीय स्तर पर बुनियादी ढांचे का विकास धीमा है। सड़कें खराब हैं और नागरिक सुविधाएं भी कम हैं।
आगरा में पर्यटकों से जुड़ी समस्याएं बहुआयामी हैं। इन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन, सीमित पार्किंग सुविधाएं और शौचालय व पीने के पानी जैसी अपर्याप्त नागरिक सुविधाओं के चलते पर्यटकों के अनुभव से समस्याएं और भी जटिल हो जाती हैं। लंबी कतारें, प्रतीक्षा समय, आक्रामक दलाली और घोटाले, तथा सूचना व संकेतों की कमी भी इस खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी हैं। इनमें जेबकतरी, चोरी, यातायात की भीड़ व दुर्घटनाएं, रात में खराब रोशनी व सुरक्षा, तथा जलजनित बीमारियों जैसे स्वास्थ्य संबंधी खतरे शामिल हैं। पर्यटन के पर्यावरणीय प्रभाव को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। इसमें कूड़ा-कचरा व प्रदूषण, ऐतिहासिक स्मारकों को नुकसान, स्थानीय संसाधनों पर अत्यधिक पर्यटन और प्राकृतिक आवासों व वन्यजीवों का नुकसान शामिल है।
आर्थिक मुद्दे भी एक और महत्वपूर्ण चुनौती हैं। इसमें पर्यटन राजस्व का असमान वितरण, स्थानीय व्यवसायों व कारीगरों का शोषण, मुद्रास्फीति व बढ़ती लागत, तथा स्थानीय लोगों के लिए सीमित रोजगार के अवसर शामिल हैं। सांस्कृतिक चिंताएं, स्थानीय रीति-रिवाजों व परंपराओं के प्रति अनादर, सांस्कृतिक विरासत का व्यावसायीकरण, सांस्कृतिक पहचान का नुकसान और स्थानीय इतिहास का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसी समस्याएं भी जटिलताएं बढ़ाती हैं।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों, पर्यटन बोर्डों और हितधारकों के सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है ताकि एक स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन उद्योग सुनिश्चित किया जा सके। इससे पर्यटक और स्थानीय लोगों लाभान्वित होंगे।
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