एक कविता : आगाज़े-सफर...

सफर मीलों का हो या फिर हज़ार मीलों का हो, सफर तो महज एक कदम उठाने से शुरू होता है,

इश्क की सलाहितें खुद ब खुद आने लगती हैं, शहर तो एक आलम समझाने से शुरू होता है,


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