सफर मीलों का हो या फिर हज़ार मीलों का हो, सफर तो महज एक कदम उठाने से शुरू होता है,
इश्क की सलाहितें खुद ब खुद आने लगती हैं, शहर तो एक आलम समझाने से शुरू होता है,
सफर मीलों का हो या फिर हज़ार मीलों का हो, सफर तो महज एक कदम उठाने से शुरू होता है,
इश्क की सलाहितें खुद ब खुद आने लगती हैं, शहर तो एक आलम समझाने से शुरू होता है,