आपसी रिश्तों में बेहद जरूरी है शब्दों की मिठास


किसी भी तरह के रिश्ते में शब्दों की मिठास का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। रिश्ता फिर चाहे मां-बाप के साथ हो, पति-पत्नी के बीच हो, आपसी दोस्ती का हो या फिर किसी भी अड़ोसी-पड़ोसी के साथ हो।

शुरुआत मां-बाप के साथ बच्चों के रिश्तों से करें तो यह दुनिया का सबसे खूबसूरत और गहरा रिश्ता है। यह न केवल खून का रिश्ता होता है, बल्कि प्यार, त्याग और विश्वास का अटूट बंधन भी है। बचपन से ही, एक बच्चा अपने माता-पिता को अपने लिए हर तरह के त्याग करते देखता है। वे अपनी नींद, आराम और इच्छाओं को कुर्बान करते हैं, ताकि उनके बच्चों को बेहतर जीवन मिल सके। बच्चे इस समर्पण को देखकर बड़े होते हैं, और उनके मन में अपने माता-पिता के लिए गहरा सम्मान पैदा होता है।

लेकिन, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह रिश्ता एक नए मोड़ पर आ खड़ा होता है। अभिभावकों को लगने लगता है कि उनके बच्चे अब बड़े हो रहे हैं, आत्मनिर्भर हो रहे हैं तो शायद उनकी बातों को उतना सामयिक नहीं मानेंगे। दूसरी ओर, बच्चों को भी यह महसूस होने लगता है कि वे अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने लायक हो गए हैं तो उन्हें कई निर्णय खुद ही लेने दिया जाना चाहिए। किसी भी तरह की रोका-टोकी उन्हें पसंद नहीं आती है। इसी के चलते, कभी-कभी एक ऐसी असामान्य स्थितियां पैदा हो जाती हैं जब दोनों पक्ष एक-दूसरे को जाने-अनजाने में दुख बड़ा पहुंचा ही देते हैं। तो फिर, ऐसी स्थिति का सामना कैसे करें!?

यहां पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है शब्दों की...। शब्द वे तीर होते हैं जो सीधे दिल पर वार करते हैं। जब ये तीर कड़वाहट या गुस्से के साथ चलाए जाते हैं, तो इनका असर सीधा आत्मा पर होता है। यह सच है कि मीठी वाणी किसी भी दिल को पिघला सकती है, और एक उत्साहित करने वाली वाणी किसी में भी नई ऊर्जा भर सकती है। इसी तरह, संबंधों में शब्दों का उपयोग बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। जब हम अपने शब्दों की मर्यादा रखते हैं, तभी जीवन में संतुलन बनता है।

यह बात हर एक रिश्ते के लिए उपयुक्त है। यह समझना बेहद ज़रूरी है कि हर रिश्ते में सम्मान और प्यार का आधार शब्दों से ही बनता है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे संबंध हमेशा मजबूत रहें, तो हमें अपने शब्दों को ध्यान से चुनना होगा और व्यक्त करना होगा। इसके लिए, स्तरीय पढ़ना, अच्छा सुनना और खूबसूरत देखना बेहद ज़रूरी है। जब हम बेहतर बातें पढ़ते हैं, सुनते हैं, और देखते हैं, तो हमारे विचारों में इन अवयवों को खुद से समावेश होता जाता है।

कुल मिलाकर, खूबसूरत रिश्तों को शब्दों की मिठास से और भी मजबूत बनाया जा सकता है। यह हिसाब लगाने की जरूरत नहीं है कि कौन बड़ा है और कौन छोटा, बल्कि यह समझें कि प्यार और सम्मान की खूबसूरत भाषा ही रिश्तों को हमेशा हरा-भरा रखेगी।



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