विविधा और व्यंग्य

संयुक्त परिवारों के बुजुर्ग आजकल लड़कों की शादी करने से घबराने लगे हैं। उन्हें बहुओं का खौफ सता रहा है। उधर, नौकरी कर रहे युवा अकेले रहना पसंद करने लगे हैं, शादियों के बंधन से मुक्त ‘लिव-इन रिलेशन’ में, अंजाम जो भी हो। सात जन्मों का बंधन सात साल चल जाए तो शादी सफल मानी जा रही है।

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अंदाज लगाइए दस हजार वर्ष पूर्व गुफा से बाहर निकले आदि मानव ने सर्व प्रथम किस इंसानी जिस्म के अंग को ढका होगा और क्यों?

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भारतीय ज्ञान, परंपरा, सभ्यता और संस्कार के कारण ही पूरी दुनिया में भारत की एक अलग पहचान बनी हुई है। यह देश हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श का अनुयायी रहा है और यहां पग-पग पर धर्मसम्मत आदर्शो की चर्चा की जाती रही है,,,

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पिछले दो दशकों में हमने एक पूरी जमात को गुम होते देखा है। वह जमात जो हमें हंसाती थी, गुदगुदाती थी, और सोचने पर मजबूर करती थी। व्यंग्यकार, कार्टूनिस्ट, और हास्य के बादशाह अब धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं...

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ज़ेलेंस्की को एक ऐसे कुत्ते की तरह देखा गया, जो न घर का रहा न घाट का, और ट्रंप को उस चालाक बंदर की तरह, जो दो लड़ती बिल्लियों को न्याय दिलाने के बहाने पूरी रोटी हड़प जाता है।

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आज, जबकि दुनिया गुलाबों और चॉकलेट के साथ ‘वैलेंटाइन डे’ मना रही है, तब ताजमहल का शहर आगरा मोहब्बत की नई परिभाषा और एक ऐसी दास्तां लिखना चाहता है जो क्षणभंगुर इशारों और व्यावसायिक दिखावों से परे है।

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