विविधा और व्यंग्य

क्या हमारे बेडरूम ख़ून से सने जंग के मैदान बन रहे हैं? कभी बीवियां ईंटों से शौहर का सर कुचल देती हैं, तो कहीं आशिक लाश को सीमेंट के ड्रम में छिपा देता है। हिंदुस्तान की नई मोहब्बत अब धोखे और दरिंदगी की स्क्रिप्ट बन चुकी है। हर मुस्कुराते सेल्फी वाले जोड़े के पीछे छिपी हो सकती है कोई सीक्रेट चैट, कोई भषड़ भरा ग़ुस्सा, या कोई पहले से लिखा हुआ क़त्ल का प्लान। जैसे-जैसे एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे बढ़ रहा है एक नया क्राइम ऑफ़ पैशन, जहां प्यार मरता नहीं, मार देता है...

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दक्षिण के एक नामी स्कूल में 16 साल की एक लड़की से शिक्षकों द्वारा की गई सामान्य पूछताछ ने डिजिटल युग का एक डरावना सच सामने ला दिया, जिससे छात्रों के सोशल मीडिया इस्तेमाल की अंधेरी दुनिया उजागर हो गई।

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वह अदालत के सामने खड़ी थी, उसकी आंखों में सवाल नहीं, एक जंग थी। उसका 'अपराध'? एक लिव-इन रिलेशनशिप। समाज की नज़रों में वह 'बदचलन' थी, लेकिन अपने लिए, वह आज़ादी की सेनानी थी। उसने पूछा, "क्या प्यार की इजाज़त के लिए सर्टिफिकेट चाहिए?" उसकी आवाज़ में वही दर्द था जो सदियों से दबाया गया है। यह मामला सिर्फ एक लड़की का नहीं, हमारे समाज के ढांचे की जड़ों पर प्रहार था। क्या न्याय व्यवस्था समाज के दोगलेपन के आगे झुकेगी...

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लाख कोशिशों के बावजूद महात्मा गांधी के जीवन आदर्श और गांधीवादी विचारधारा से भारत की वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था के कप्तान मुक्ति नहीं पा सके हैं। कांग्रेसियों ने कभी गांधी को जीया ही नहीं, और हिंदुत्ववादी विचारकों को हमेशा गांधी नाम से ही घिन या चिढ़ ही रही...

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हाल ही में ग्रेटर नोएडा में एक दिल दहलाने वाली घटना ने तथाकथित आधुनिक भारतीय समाज की काली सच्चाई को प्रकाशित किया है। 28 वर्षीय निक्की को उनके पति और ससुराल वालों ने 36 लाख रुपये की दहेज मांग के लिए क्रूरता से प्रताड़ित कर जला दिया। यह भयावह घटना 21 अगस्त को हुई, जिसे निक्की के छह साल के बेटे ने अपनी आंखों से देखा, जिसने बताया कि उसकी मां पर कोई पदार्थ डाला गया, थप्पड़ मारा गया और फिर जिंदा जला दिया गया...

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रात के सन्नाटे में जब घरों की रोशनी बुझ जाती है, तब भी लाखों युवाओं की आंखें चमकती स्क्रीन पर टिकी रहती हैं। अनगिनत नोटिफिकेशन्स की खनक मानसिक जंजीर बन चुकी है...

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