शहरों में शोर का ऐसा बवंडर उठ रहा है कि अब चैन की सांस लेना भी चुनौती बन गया है। दिन हो या रात, हर ओर गूंजती अलग-अलग ध्वनियां मानो एक शोरगुल की करामात रच रही हैं। चुनावी प्रचार से लेकर धार्मिक उत्सवों और शादियों तक, हर आयोजन में ध्वनि प्रदूषण के नए रिकॉर्ड बनते जा रहे हैं।
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