गुलाब बाड़ी में बनारस की चैती - ब्रज की धमार - वर्शा की रिमझिम में कजरी
चैत्र के चटकीले महीने में चहकते - महकते गुलाब की सुरभि के साथ वाराणसी और पूर्वी अंचल में संगीत - गोश्ठी ’गुलाब बाड़ी’ से ब्रज क्षेत्र को परिचित कराने के उद्देष्य से उत्तर प्रदेष संस्कृति विभाग के प्रकल्प जन जाति एवं लोक कला संस्कृति संस्थान के निदेषक डा0 रत्नेष वर्मा के सौजन्य से संस्थान एवं सांस्कृतिक संस्था ’स्वास्तिक’ के संयुक्त तत्त्वावधान में गोवर्धन रोड स्थित ज्ञानदीप षिक्षा भारती परिसर में सम्पन्न ’गुलाब बाड़ी’ कार्यक्रम ने अपनी प्रभावषीलता से उन श्रोताओं को भी मंत्रमुग्ध कर दिया जो षास्त्रीय संगीत से कम परिचित रहे हैं।
असम की मूल निवासी और पद्मभूशण श्रीमती गिरिजा देवी की सुयोग्य षिश्या डाॅ0 रीता देव ने अपनी एक से एक बेहतरीन प्रस्तुतियों द्वारा ऐसा समा बाँंधा कि लोग बार - बार तालियाँ बजाते नहीं थक रहे थे। उन्होंने अपने गायन का प्रारम्भ षिव - स्तुति जय - जय हे षिव और फिर राग मिश्र देस व दीपचन्दी ताल में निबद्ध ठुमरी ’सँावरिया’ को ’देखे बिना नाहिं चैन’ से किया। इसके पष्चात् उन्होंने चैती - ’चैत मास बोले रे कोयलिया हो राम’ा दीपचन्दी में प्रस्तुत की जिसके बाद में कहरवा ताल में बदलते के साथ ही दर्षक झूमने को विवष हो गये। फिर उन्होने होली ’रंग डारुँगी नंद के लालन पै रंग डारुँगी’ सुनाकर वातावरण में फाग की मस्ती घोल दी। कार्यक्रम के मध्य वर्शा होने पर जनता के विषेश अनुरोध पर उन्हांेने कजरी ’कहरवा मानो हो राधारानी’ तथा दादरा ’साँवरिया प्यारा रे मोरी गुइयाँ’ और हमरी अटरिया पै आवौ मोहन , देखा देखी बलम हुई जावे’ की प्रस्तुतियाँ कर विभिन्न गायन षैलियों पर अपनी दक्षता का परिचय दिया। उनके गायन में बोल - बनाव, हाव - भाव प्रदर्षन, स्वरों का नूतन प्रयोग एवं उपज का काम देखते ही बन रहा था।
डाॅ0 रीता देव से पूर्व ब्रज के सुप्रसिद्ध सारंगी वादक तथा हवेली संगीत के रस सिद्ध गायक हरि बाबू कौषिक ने सारंगी वादन करते हुए ही राग काफी और दीपचन्दी व कहरवा ताल में निबद्ध सूरदास की होली की धमार का पद - ’औरन ते खेलै धमार लाल मोते मुखहूँ न बोलै’ सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बाद में उन्होंने परमानन्द दास जी का पद ’तेरौ लाल मेरौ माखन खायौ यषोदा मैया’ भी प्रस्तुत किया। उनके साथ गायन में सहयोग मयूर कौषिक ने किया।
सम्पूर्ण कार्यक्रम में तबला पर उस्ताद गुलाम साबिर एवं हारमोनियम पर राधेष्याम षर्मा ने कुषल संगत देकर चार चाँद लगा दिए।
कार्यक्रम का विधिवत् उद्घाटन विधायक पूरन प्रकाष, जन जाति एवं लोक कला संस्कृति के निदेषक डा0 रत्नेष वर्मा , स्वास्तिक के अध्यक्ष मोहन स्वरूप भाटिया , नरेष मलहोत्रा डा0 राजेन्द्र कृश्ण अग्रवाल , डा0 रीता देव तथा हरि बाबू कौषिक ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन करके किया गया।
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए जन जाति एवं लोक कला संस्कृति संस्थान के निदेषक डाॅ0 रत्नेष वर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम लोक कला उन्नयन एवं प्रसार श्रृंखला के अन्र्तगत स्वास्तिक के सहयोग से किया जा रहा है। उन्हांेने बताया कि ’गुलाब बाड़ी’ षब्द का प्रचलन पष्चिम बंगााल से हुआ है। समारोह का संचालन करते हुए डाॅ0 राजेन्द्र कृश्ण अग्रवाल ने कहा कि ’गुलाब बाड़ी’ कार्यक्रम के अन्तर्गत चैत्र मास में इस प्रकार के कार्यक्रम पूर्वी बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेष के वाराणसी आदि नगरों में प्रायः सम्पन्न होते हंै। उन्होंने बताया कि ’चैती’ षब्द ’चैत्री’ का अपभ्रंष रूप है, इसका अर्थ चैत्र पूर्णिमा से होता है। चैती ऋतु - गीत है और ’हो रामा’ की तुक इन गीतों की पहचान कराती है।
स्वास्तिक के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेष संगीत नाटक अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष मोहन स्वरूप भाटिया ने कहा कि ’गुलाब बाड़ी’ कार्यक्रम पूर्वी अंचल एवं ब्रज अंचल के मध्य परिचयात्मक प्रयास है। श्रोताओं ने जिस प्रकार इस कार्यक्रम को सराहा है उससे निष्चय ही भविश्य में ’गुलाब बाड़ी’ की महक से श्रोता महकते रहेंगे।
षास्त्रीय गायक नरेष मल्होत्रा ने इस प्रकार के आयोजनों की आवष्यकता पर बल देते हुए हवेली संगीत के संबंध में भी कुछ करने का डाॅ0 वर्मा से अनुरोध किया। इस अवसर पर आचार्य अषोक कुमार जोषी, एच0 आर0 सगर, डा0 ओम जी, अंजू सूद, अमृत खंडेलवाल, डा0 बड़े ठाकुर, दिनेष बिन्दल, मयूर कौषिक, जगदीष अस्थाना, नन्द किषोर अग्रवाल, नवनीत, एस0 एस0 जौहरी, किषन गोपाल अग्रवाल, गोपाल प्रसाद प्रेस वाले, कृश्ण मुरारी खंडेलवाल, के0 जी0 माहेष्वरी, डा0 कन्हैया लाल ’रसिक’, अनिल अग्रवाल, मोहित श्रीवास्तव, मुरारी लाल अग्रवाल, प्रीति अग्रवाल, कुँवर नरेन्द्र सिंह, ओम प्रकाष डागुर, प्रमोद षर्मा, प्रिया षर्मा, प्रेमचन्द गुप्ता, आषीश अग्रवाल, विजय अग्रवाल षोरावाला, ष्याम श्रोत्रिय, विजय बहादुर सिंह, विजय केलकर, सुनील आचार्य, नीलेष षर्मा, रमेष चन्द्र मिŸाल, निधि भाटिया, रवीन्द्र तिवारी, कासिम खान, अखिलेष कुलश्रेश्ठ, मुरारी लाल जोषी, प्रदीप अग्रवाल, मफतलाल अग्रवाल, सी0 के0 उपमन्यु, राहुल गोपाल यादव, अंजू सूद, तरुणेष नागर, झनक नागर, षकुन्तला गुप्ता, विनय गोस्वामी, विषन कान्त मिलिन्द, प्रीति भाटिया, जगदीष लाल धींगरा, रूप किषोर षर्मा, आषीश भाटिया आदि सहित जनपद तथा आगरा एवं दिल्ली के संगीतज्ञ और प्रमुख नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।कार्यक्रम के अन्त में विधायक पूरन प्रकाष ने डा0 रीता देव, हरि बाबू कौषिक, गुलाम साबिर तथा राधेष्याम षर्मा को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
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