मैसूर (आगरा): एक ओर जहां अंग्रेजी व अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं के समाचार पत्र फल-फूल रहे हैं वहीं संस्कृत का दुनिया का अकेला समाचार पत्र 'सुधर्मा' अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। 'सुधर्मा' अगले सप्ताह अपने 42वें साल में प्रवेश कर रहा है।
Related Items
संस्कृत की टूटती सांसों को थामे हुए है 'सुधर्मा'
विश्व बैंक ने भारत के लिए 6.7 फीसदी वृद्धि का लगाया अनुमान
क्या इस साल बन रहा है विश्व युद्ध के लिए माहौल…?