मुख्य मथुरा शहर के कोलाहल से दूर, शांत वातावरण में सघन वनों के बीच आशेश्वर महादेव का प्राचीन शिव मंदिर है। निकटवर्ती नंदगांव स्थित यह मंदिर ब्रज के प्रसिद्ध पंच महादेव मंदिरों में से एक है। सावन के तीसरे सोमवार को दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां बड़ी आस्था के साथ महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं।
आशेश्वर महादेव मंदिर का शिल्प साधारण है। मंदिर की मुख्य इमारत सीधी व लंबी है। मंदिर के मुख्यद्वार से नंदीश्वर पर्वत स्थित नंदबाबा मंदिर के साफ दर्शन होते हैं। मौजूदा मंदिर का निर्माण भक्तों का ही सामूहिक प्रयास है। मंदिर में स्थापित पिंडी हल्के सांवले रंग की है। यह पिंडी किसी शिल्पकार ने तैयार नहीं की है, बल्कि प्राकट्य है। खुदाई करने पर भी आज तक इसके अंतिम सिरे की थाह नही लग सकी है। भक्तों की इसमें अगाध आस्था है। मंदिर के समीप एक कुंड है, जिसे आशेश्वर कुंड कहा जाता है। कुंड में पन्ना जैसा हरा पानी तीर्थयात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है।
माना जाता है कि भगवान शंकर नंदगांव में अपने इष्ट भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप के दर्शन करने के लिए द्वापर काल में यहां आए थे। उस वक्त उनके विचित्र वेशभूषा, सांप और बिच्छू आदि को देखकर माता यशोदा स्वयं भयभीत हो गईं और उन्होंने भगवान शंकर को अपने नन्हे कान्हा के दर्शन नहीं करने दिए। कृष्ण दर्शन की आशा लेकर भगवान शिव इसी वन में इस कुंड के तट पर समाधि लगाकर बैठ गए। तब भगवान कृष्ण ने लीला रची। उन्होंने रुदन किया तो माता यशोदा ने साधु वेषधारी भगवान शंकर को नंद भवन में बुलाया और बालकृष्ण प्रभु के दर्शन कराए। तब से इस वन और कुंड का यह नाम पड़ा है। मथुरा के नंदगांव स्थित नंद भवन मंदिर के निकट व नंद बाग के पूर्व में आशेश्वर वन में यह धर्मस्थल मौजूद है। महाशिवरात्रि के दौरान हजारों भक्त यहां दर्शनों के लिए आते हैं और पूरी भक्ति के साथ भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु सालभर नंदगांव आते हैं। उनकी सुविधा के लिए यहां बहुत सारे आश्रम, धर्मशाला, होटल, गेस्ट हाउस, यात्री भवन व रेस्तरां बनाए गए हैं। इसके अलावा आप यहां से दूसरे स्थानीय दर्शनीय स्थलों के लिए सार्वजनिक और निजी परिवहन, ऑटो रिक्शा आसानी से पा सकते हैं। आशेश्वर महादेव की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च माह के बीच है। तब यहां मौसम सुहावना होता है। इसी दौरान यहां महाशिवरात्रि त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
यह स्थान सड़क, रेल और हवाई नेटवर्क के माध्यम से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। मथुरा में प्रमुख रेलवे जंक्शन है, जो नंदगांव से सिर्फ 55 किमी दूर है। यहां से आपको भारत के लगभग सभी क्षेत्रों के लिए ट्रेन मिल सकती है। आगरा हवाई अड्डा और दिल्ली हवाई अड्डा नंदगांव से क्रमशः 110 और 120 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद हैं। यहां से आपको भारत और दुनियाभर के सभी प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें मिल सकती है। नंदगांव तक पहुंचने के लिए आपको इन दोनों हवाई अड्डों से निजी टैक्सी और सार्वजनिक परिवहन के साधन मिल सकते हैं। दूसरे दर्शनीय स्थलों जैसे बरसाना से यह मात्र 10 किमी, गोवर्धन से 30 किमी, जतीपुरा से 32 किमी, वृन्दावन से 48 किमी, गोकुल से 67 किमी और आगरा से 110 किमी की दूरी पर स्थित है। मथुरा पहुंचने के लिए आपको आगरा और दिल्ली से सीधी बसें मिल सकती हैं और फिर आप आसानी से नंदगांव पहुंच सकते हैं।
ग्रीष्म ऋतु में सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक व दोपहर के बाद दो बजे से नौ बजे तक तथा सर्दी ऋतु में सुबह साढ़े पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक व दोपहर बाद दो बजे से साढ़े आठ बजे तक यहां दर्शन किए जा सकते हैं।
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