संपादकीय

देश को नई सरकार मिलने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग कर पांच साल के लिए अपने देश में एक नई सरकार देने का कार्य लगभग पूरा कर दिया है।

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सुकरात का एक शिष्य कशमकश में था कि उसे विवाह करना चाहिए या नहीं? उसने अपने मित्रों, परिचितों, संगे-संबंधियों और बड़े-बुजुर्गो से सलाह ली। सबने अपने-अपने ढ़ंग से सलाह दी। किसी ने कहा कि शादी कर लेनी चाहिए। इससे जीवन व्यवस्थित रहता है। फिर अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन्होंने दलीलें भी दीं।

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जाजलि नाम का एक ब्राह्मण था। वह ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। इसके लिए वह जगह-जगह भटकता फिरा, कई साधु-महात्माओं के पीछे दौड़ता रहा। लेकिन, उसे कोई ऐसा ज्ञानी नहीं मिला, जिसे वह अपना गुरु बना सके।

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आप जैसा विचार रखते हैं, वैसा ही बन जाते हैं। क्या यह सच्चाई नहीं है? आपकी सोच आपकी नियति को तय करती है, यह आपकी सोच का ही नतीजा होती है। आप अपनी सोच से ज्यादा विकास नहीं कर सकते और न ही आप उससे ज्यादा कुछ हासिल कर सकते हैं। केवल लाटरी का मामला अपवाद हो सकता है। लोग अपने आस-पास की चीजों के मुताबिक ही चीजों को खोजने में विश्वास रखते हैं।

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आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे अच्छा उपाय है या तो आप प्रेरणावाचक भाषण पढ़ें या चुनें। यदि आपके पास इसके लिए समय नहीं है तो आप अपना प्रेरणावाचक टेप बना सकते हैं जो आपके अच्छे तरीकों और अच्छे विचारों पर आधारित हो।

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जैसे ही आप एक नया कार्य प्रारम्भ करते हैं तो इसका आत्मविश्लेषण करना अच्छी बात होगी कि आपकी सोच के अनुसार क्या चलता है? क्या आप जो प्राप्त करना चाहते हैं, उस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और क्या आप इसको अपने दिल से कर रहे हैं? आप अपने दिन-प्रतिदिन के काम करने के दौरान अपने लम्बे उद्देश्य, कर्तव्य और लक्ष्य को नजरअंदाज न करें।

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