संपादकीय

नई दिल्ली : थामस अल्वा एडिसन ने बल्ब का आविष्कार करने से पहले लगभग 300 प्रयोग किए थे, तब कहीं जाकर उनका प्रयोग सफल हुआ था। उनकी इस असफलता पर एक युवा रिपोर्टर ने उनसे पूछा, "आपको इतनी बार नाकामी झेलने के बाद कैसा लग रहा है?" जवाब में एडिसन ने कहा, ''मैं कभी नाकाम नहीं हुआ। मैंने प्रकाश बल्ब का आविष्कार किया है और उसके आविष्कार की प्रक्रिया 2000 चरणों में संपन्न हुई है।''

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चुनावों में पहली बार ऐसा हुआ है जब मंच और माइक के साथ सोशल साइट्स के प्रयोग ने भी प्रभावी भूमिका अदा की है। इन चुनावों में जिस तरह से सोशल साइट्स के जरिए चुनाव प्रचार किया जा रहा है उससे एक बात तो तय है कि हमारे देश के लोगों ने इसे एक महत्वपूर्ण माध्यम मान लिया है।

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साल 1970 से आज तक देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार कई जनान्दोलन हुए और लड़ाइयां लड़ी गईं। आपने मीडिया का पूरा उपयोग करके देशभर में उम्मीद जगा दी है कि आप देश से भ्रष्टाचार को मिटा देंगे और विदेशों में जमा धन वापस ले आएंगे। इसके लिए हम आपको बधाई देते हैं।

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सन् 2013 मे योजना आयोग ने राष्ट्रव्यापी सम्पूर्ण सैनिटेशन अभियान का आकलन अध्ययन किया था। इस अध्ययन में 27 राज्यों के 11519 घरों का सर्वेक्षण किया गया था यानी यह एक विस्तृत सर्वेक्षण था।

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अरविन्द केजरीवाल एक उम्मीद और अदम्य जिजीविषा का नाम है। लोगों की आशा -आकांक्षाओं का प्रतीक स्वर है। आम जनता--किसान, मजदूर, छात्र, महिलाएं, नौजवान आदि (और खास भी, जो ईमानदार व्यवस्था चाहते हैं) ट्रेन, बस, चाय -पान की दुकानों, सड़क -बाजार, कॉलेज कैंपस, चौपालों, खेत -खलिहान पर जो मुद्दे उठाती है, आक्रोश प्रकट करती है... उन बहसों में, आक्रोश में 'अप्रिय सच' भी बोला जाता है। आक्रोश में अतिवादिता भी होती है। कई बार गलत -सलत दावे -प्रतिदावे भी होते हैं!

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देश सोलहवीं लोकसभा के आम चुनावों के लिए तैयार है। ‘फार्च्यून‘ पत्रिका के भारतीय संस्करण के वरिष्ठ संपादक हिन्डॉल सेनगुप्ता, जिन्हें वैश्विक विचार मंच ने उन 32 उद्यमियों पर एक पुस्तक प्रस्तुत की है, इसका शीर्षक है ”उन 100 चीजों को जानो तथा बहस करो, वोट करने से पहले।

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