लंबे अरसे से 'साइकिल' और 'इंसान' के बीच एक अटूट रिश्ता रहा है। यह भी कहा जा सकता है कि शायद ही किसी का बचपन साइकिल चलाने से वंचित रहा होगा। दरअसल, साइकिल ही वह सहारा रही है, जिसके माध्यम से लोग पहले कोसों दूर अपने स्कूल तक जल्दी पहुंचते थे, लेकिन तब साइकिल समय बचाने का साधन समझी जाती थी। आज के इस आधुनिक दौर में वही साइकिल लोगों को स्वस्थ रखने के काम आ रही है।
बात जब फिजिकल फिटनेस की आ जाए तो भला कौन पीछे रहना चाहता है। अपने आप को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए लोग तमाम तरीके अपनाते हैं। इनमें से एक साइकिलिंग भी है। पहले कभी साइकिल चलाना यह दर्शाता था कि आप आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं हैं, लेकिन अब यही साइकिलिंग धनाढ्य लोगों के शरीर को स्वस्थ रखने का साधन बनती जा रही है। चिकित्सक लोगों को तमाम बीमारियों का उपचार करते हुए दवाओं की निरंतरता रखने की सलाह देने के साथ-साख साइकिलिंग करने भी जोर देने लगे हैं। खासतौर पर आज के दिनों में महंगी साइकिल चलाना युवाओं व धनी लोगों के लिए क्रेज बनता जा रहा है।
साइकिलिंग दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने का सर्वोत्तम साधन है। साइकिलिंग करते समय लोगों को यह पता भी नहीं होता कि उन्होंने दिमाग की भी कसरत कितनी आसानी से कर ली। अधिकांश लोग यही जानते हैं कि साइकिल चलाने से केवल मांसपेशियों की कसरत ही होती है, लेकिन वास्तव में जाने-अनजाने में साइकिलिंग से हम अपने दिमाग की भी बेहतर कसरत कर जाते हैं। साइकिल को संतुलित रखने के लिए हमें दिमाग का बेहतर उपयोग करना होता है। हम दिमाग का जितना ज्यादा उपयोग करेंगे, हमारा दिमाग उतना ही स्वस्थ रहता है और हमारे दिमाग की यूं ही कसरत हो जाती है।
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