गलत रहन-सहन और खान-पान के कारण पिछले कुछ वर्षों में हर्निया के लगभग चार गुना मामले बढ़ गए हैं।
एब्डोमिनल वॉल रीकन्सट्रक्शन सर्जन्स कम्यूनिटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रमोद शिन्दे ने बताया कि मोटापे व लापरवाही के कारण हर्निया बड़ा हो जाने से दोबारा ऑपरेशन करने की आशंका बढ़ जाती है, जबकि छोटे हर्निया पर ही ऑपरेशन कराने पर सफलता अधिक रहती है। 20 से 60 साल की उम्र के लोगों में, खासकर महिलाओं में, गर्भावस्था के दौरान ऑपरेशन होने के कारण हर्निया के मामले अधिक है। साथ ही, नाभि और जांघ के हर्निया के मामले अपेक्षाकृत अधिक हैं।
डॉ. शिन्दे ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान अब ऐसी जाली भी डाली जाने लगी है, जो शरीर के अन्दर दो वर्ष के अन्दर घुल जाए। ऐसा उन लोगों में किया जाता है, जिनमें दोबारा ऑपरेशन करने की आशंका होती है।
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