अभूतपूर्व उपलब्धियों के साथ भारतीय खेलों के लिए 2024 रहा उल्लेखनीय वर्ष


भारतीय खेलों के लिए वर्ष 2024 एक यादगार वर्ष रहा है। इस दौरान देश ने वैश्विक मंच पर अभूतपूर्व सफलताएं हासिल कीं। पेरिस पैरालिंपिक खेलों में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन से लेकर शतरंज में ऐतिहासिक जीत और खेलों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने तक, भारत ने कई क्षेत्रों में अपनी बढ़ती ताकत का प्रदर्शन किया है। अभूतपूर्व पहलों और एथलीट सशक्तिकरण पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने वाली ये उल्लेखनीय उपलब्धियां खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

भारत ने पेरिस ओलिंपिक खेलों में अपनी भागीदारी एक रजत और पांच कांस्य सहित छह पदकों की शानदार जीत के साथ पूरी की। इस उपलब्धि में निशानेबाजी की अहम भूमिका रही। इसमें एथलीट मनु भाकर, सरबजोत सिंह और स्वप्निल कुसाले ने तीन कांस्य पदक जीते। इनके अलावा, नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में रजत पदक जीता। अमन सेहरावत ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता और भारतीय हॉकी टीम ने सफलतापूर्वक अपना कांस्य पदक बरकरार रखा।

Read in English: A landmark year for Indian Sports with unprecedented achievements

28 अगस्त से 8 सितंबर तक चले 2024 पेरिस पैरालिंपिक खेलों में भारत ने अपने अब तक के सबसे बड़े दल के साथ इतिहास रच दिया। देश के एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सात स्वर्ण, नौ रजत और 13 कांस्य सहित कुल 29 पदक जीते और पदक तालिका में 18वां स्थान हासिल किया। यह ऐतिहासिक प्रदर्शन पैरालंपिक इतिहास में देश की अब तक की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है।

हंगरी के बुडापेस्ट में 45वें फिडे शतरंज ओलंपियाड में भारत की शतरंज प्रतिभा ने नई ऊंचाइयों को छुआ। भारतीय पुरुष और महिला शतरंज टीमों ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। गुकेश डी, प्रग्गनानंद आर, अर्जुन एरिगैसी और विदित गुजराती जैसे शानदार खिलाड़ियों वाली पुरुष टीम ने प्रतियोगिता में अपना दबदबा बनाकर 11 में से 10 मैच जीते और अंतिम दौर में स्लोवेनिया को हराया। गुकेश डी और अर्जुन एरिगैसी ने अपने असाधारण प्रदर्शन के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते।

हरिका द्रोणावल्ली, वैशाली आर, दिव्या दशमुख, वंतिका अग्रवाल और तानिया सचदेव की भारतीय महिला टीम ने शुरुआती झटकों से उबरते हुए फाइनल राउंड में अजरबैजान को हराकर खिताब अपने नाम किया। एक असाधारण उपलब्धि के तहत, डी. गुकेश ने सिंगापुर में विश्व शतरंज चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर 2024 में सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन के रूप में भी इतिहास रच दिया।

अस्मिता महिला लीग पूरे देश में 20 खेल विधाओं में आयोजित की गई हैं, जिसका उद्देश्य छोटे शहरों और गांवों से भी महिला एथलीटों को शामिल करना है। अब तक आयोजित 766 प्रतियोगिताओं में 83,763 महिला एथलीटों ने इस पहल में भाग लिया है, जिससे खेलों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है।



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