दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागमों में से एक महाकुंभ मेला न केवल नदियों का संगम है, बल्कि संस्कृतियों, परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों का भी संगम है।
प्रत्येक बारह वर्ष में आयोजित होने वाला महाकुंभ का यह भव्य आयोजन धर्म और अध्यात्म की सीमाओं से परे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक विशिष्ट मंच प्रदान करता है। इसके कई पहलुओं में, सांस्कृतिक कलाकारों का प्रदर्शन एक विशेष स्थान रखता है, जो अपने संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियों से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर आस्था, भक्ति और इतिहास की कहानियां सुनाते हैं। शास्त्रीय नृत्यों से लेकर लोक परंपराओं तक, ये कलाकार भारत की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत ताना-बाना बुनते हैं, जो श्रृद्धालुओं और आगंतुकों के आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है।
महाकुंभ मेला प्रस्तुति के लिए देशभर से विभिन्न कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इन कलाकारों की प्रस्तुति 16 जनवरी से शुरू होगी और 24 फरवरी तक चलेगी। पहले दिन शंकर महादेवन इस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर अपनी प्रस्तुति देंगे, जबकि मोहित चौहान अंतिम दिन प्रस्तुति देंगे।
कैलाश खेर, शान, हरिहरन, कविता कृष्णमूर्ति, कविता सेठ, ऋषभ रिखीराम शर्मा, शोवना नारायण, डॉ. एल सुब्रमण्यम, बिक्रम घोष, मालिनी अवस्थी और कई अन्य प्रसिद्ध कलाकारों को भी इस महाकुंभ में मंत्रमुग्ध करने और शानदार आध्यात्मिक वातावरण बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है।
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