यहां प्रकृति प्रतिदिन बूंद-बूंद करती है भगवान शिव का अभिषेक...


मध्य प्रदेश के खरगोन स्थित सिरवेल में भगवान शिव का एक अति प्राचीन मंदिर है। सतपुड़ा की वादियों में मौजूद यह मंदिर एक गुफा के अंदर है। इस शिवलिंग का प्रतिदिन बूंद-बूंद पानी से प्रकृति अभिषेक करती है।

यह मंदिर वर्षों पुरानी प्राकृतिक धरोहर है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए एक लोहे की सीढ़ी से चढ़कर गुफा के अंदर जाना होता है। इसी गुफा में शिवलिंग विद्यमान है। इस पर अभिषेक के रूप में बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। मंदिर में पार्वती, नंदी और हनुमान की प्रतिमा भी स्थापित हैं।

सिरवेल का यह शिव मंदिर लगभग 200 साल पुराना है। प्राचीन निमाड़ प्रदेश की राजधानी बीजागढ़ होने के चलते इस मंदिर का नाम बीजागढ़ महादेव मंदिर पड़ गया। यह गुफा मात्र छह फुट गहरी और तीन फुट ऊंची है। इसमें दो शिवलिंग हैं। इसके पास ही पानी का एक छोटा सा प्राकृतिक कुंड है, जिसमें पहाड़ी से रिसकर पानी आता है। इसके दाहिने ओर एक झरना है जो बारिश के दिनों में पहाड़ी से आने वाले नाले से बनता है। बारिश के दिनों में इस जगह का प्राकृतिक सौन्दर्य देखने लायक होता है। पहले यहां घना जंगल होता था, जो अब धीरे-धीरे घटता जा रहा है।

मंदिर के अलावा, सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच यहां सात तालाब स्थित हैं। बीजागढ़ सरकार के समय यहां एक किला हुआ करता था, लेकिन इस पुरातात्विक धरोहर को सहेजने के लिए शासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किए गए। इससे यह किला अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।

बीजागढ़ मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर स्थित है, इसलिए सामरिक दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण स्थान था। इसलिए, पहले राजाओं ने और बाद में अंग्रेजो ने यहां की पहाड़ी पर बने किले को छावनी की तरह इस्तेमाल किया। पहाड़ी पर इसी छावनी में सात तालाब कुछ प्राकृतिक और मानव निर्मित स्थित है जो कि उस समय सेना के लिए पानी की आपूर्ति के काम आते थे। अब भी बचा हुआ आखिरी गुप्त तालाब यहां रहने वाले लोगों और तपस्या करने वाले साधू-सन्यासियों के काम आता है। यह तालाब किले से उतरते समय पहाड़ी पर बनी एक गुफा के अन्दर स्थित है, इसलिए बाहर से देखने पर कोई इसे पहचान नहीं पाता है। इसी वजह से इसे ‘गुप्त तालाब’ कहते हैं। पुरानी मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर लोग बीजागढ़ महादेव मंदिर के दर्शन कर इन सातों तालाबों की परिक्रमा भी करते थे। अब भी बहुत से लोग इस परिक्रमा पर जाते हैं।

सुदूर जंगल में सतपुड़ा पहाड़ के घने वन की ऊंची पहाड़ी पर बनी गुफा के अंदर विराजमान इस शिवलिंग तक जाने का रास्ता बड़ा ही अद्भुत और कठिन है। पहले खड़ी चढ़ाई और घुमावदार मोड़ के बाद सीढ़ियों द्वारा झरनों के बीच, पहाड़ी चोटी के नजदीक जाने के बाद वहां से लोहे की सीढ़ी से ऊपर पहाड़ की चोटी पर पहुंचने के बाद गुफा के अंदर शिवलिंग के दर्शन होते हैं। शिवलिंग तक पहुंचने का मार्ग एकांगी होने से आने वाले और जाने वाले उसी कठिन मार्ग से बड़ी कठिनाई से गुजरते हैं।

महाशिवरात्रि पर यहां पांच दिवसीय मेला लगता है। इस दौरान, भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं।



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