आजादी के बाद से ही भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है मांट सीट

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मथुरा की पांचों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी एवं समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के नेता अपना कब्जा जमाने के लिए एड़ी-चोटी का पूरा जोर लगाया है। वर्तमान में कुल पांच सीटों में से चार पर भाजपा और एक सीट मांट पर बसपा का कब्जा है। इनमें मांट सीट की कहानी काफी दिलचस्प है।

साल 2017 में जनपद की पांच में से चार विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने वाली भाजपा के लिए मांट सीट अभी भी चुनौती बनी हुई है। इस सीट पर आजादी के बाद से अब तक भाजपा खाता नहीं खोल सकी है। इसके उलट, कई दिग्गज नेताओं की तो यहां से जमानत भी जब्त हो चुकी है।

पिछली बार के जीते चार भाजपाई विधायकों में से दो विधायक मौजूदा सरकार में मंत्री पद पर भी काबिज रहे हैं, लेकिन इस सबके बाद भी मांट विधानसभा सीट भाजपा की पहुंच से दूर ही नजर आ रही है।

मांट विधानसभा सीट से निवर्तमान विधायक व क्षेत्रीय राजनीति के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले पं. श्यामसुंदर शर्मा अब तक आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने पिछला चुनाव बसपा के चुनाव चिह्न पर लड़ा था और तत्कालीन रालोद प्रत्याशी योगेश नौहवार को नजदीकी अंतर से हराया था। चुनाव जीतने की अपनी अनोखी यात्रा के दौरान शर्मा ने कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस जैसे कई राजनीतिक दल लगातार बदले लेकिन चुनाव परिणाम नहीं बदला।

हालांकि, साल 2012 में रालोद के जयंत चौधरी ने यहां से चुनाव जीता था और तब तक अविजित रहे शर्मा को हरा दिया था। लेकिन, इस सीट से जीत हासिल करने के बाद जयंत ने सांसद होने के कारण विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और यहां उपचुनाव हुए। लेकिन, एक बार फिर पं. श्यामसुंदर शर्मा ने उपचुनाव जीत लिया।

साल 2017 में मोदी लहर के दौरान भाजपा ने एसके शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन तब बसपा के हाथी पर सवार हो चुके श्यामसुंदर शर्मा ने बड़ी जीत हासिल की। भाजपा का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था। इस बार एसके शर्मा ने टिकट न मिलने पर विद्रोह करते हुए वह मथुरा-वृंदावन सीट से मौजूदा मंत्री श्रीकांत शर्मा के खिलाफ टाल ठोंकी। बीजेपी की ओर से युवा नेता राजेश चौधरी उनके खिलाफ मैदान में हैं।

एक बड़े असमंजस के बाद इस सीट से सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में डॉ. संजय लाठर को उतारा गया है। ध्यान रहे, इस सीट पर पहले रालोद हाईकमान द्वारा योगेश नौहवार को पार्टी चिह्न जारी किया गया था। इसे लेकर दोनों के समर्थकों में गतिरोध की स्थिति बन गई थी। अब इस प्रकरण को देखते हुए यहां गठबंधन के बीच भीतरघात होने की पूरी आशंका है।

‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान के अंतर्गत कांग्रेस ने मांट सीट से सुमन चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया। उनके पति योगेश पचहरा ने हाल ही में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। इससे पूर्व वह जिला पंचायत सदस्य का निर्दलीय चुनाव भी लड़े थे और जीत के एकदम नजदीक पहुंच गए थे।

आम आदमी पार्टी की ओर से किसान नेता रामबाबू कटैलिया भी मैदान में हैं। लेकिन, चुनौती देने की स्थिति में कमजोर ही नजर आ रहे हैं।

फिलहाल, पं. श्यामसुंदर शर्मा बसपा प्रत्याशी के रूप में ही चुनाव लड़ रहे हैं। अब देखना होगा कि इस बार वह दूसरे दलों को फिर से धूल चटाने में सफल रहते हैं अथवा इस बार उनके विरोधी उनके विजयी रथ को रोकने में कामयाब हो जाएंगे।



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