अमेरिकी विविधता व समृद्धि पर संकट तो नहीं है प्रवासियों की रवानगी...!


घुम्मकड़ और प्रवासियों ने दुनिया के अनेक मुल्कों को समृद्ध और सुसंस्कृत किया है। अमेरिकी समाज यूरोप के तमाम देशों के गिरोहों और अफ्रीकियों के शिफ्ट होने से कई सदियों में निर्मित हुआ। अमेरिका अप्रवासियों के देश के रूप में फला-फूला है, जहां दुनियाभर से प्रतिभाओं ने नवाचार, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा दिया है।

सिलिकॉन वैली की तकनीकी दिग्गजों से लेकर अभूतपूर्व चिकित्सा अनुसंधान तक, वैश्विक व्यंजनों से लेकर कलात्मक क्रांतियों तक, अप्रवासी जन अमेरिका की वैश्विक पहुंच के पीछे प्रेरक शक्ति रहे हैं। फिर भी, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी आक्रामक अप्रवास विरोधी रुख से अमेरिका की सबसे बड़ी संपत्ति, इसकी विविधता को खत्म करने पर उतारू हैं। 

विश्वविद्यालय के विद्वानों का तर्क है कि अप्रवासन को प्रतिबंधित करके, अमेरिका न केवल संभावित प्रतिभाओं के लिए अपने दरवाज़े बंद कर रहा है, बल्कि वह खुद के उसी इंजन को पावर सप्लाई ठप कर रहा है, जिसने इसकी सफलता को संचालित किया। अप्रवासियों द्वारा निर्मित एक देश अपनी विरासत को धोखा देने का जोखिम नहीं उठा सकता। जो राष्ट्र प्रवासन को अपनाते हैं, वे फलते-फूलते हैं, जबकि जो इसका विरोध करते हैं, वे स्थिर हो जाते हैं।

पिछले 300 वर्षों में, अमेरिका एक ऐसे देश के रूप में विकसित हुआ है, जहां विभिन्न महाद्वीपों से आए अप्रवासी इसकी समृद्ध सांस्कृतिक संरचना और गतिशील अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं। अप्रवासन को प्रतिबंधित करने से न केवल अवसरों की भूमि के रूप में अमेरिका की विरासत को नुकसान पहुंचता है, बल्कि प्रतिभा, विचारों और उद्यमशीलता की भावना के प्रवाह को भी रोकता है, जिसने लंबे समय से इसकी प्रगति को बढ़ावा दिया है। 

Read in English: Departure of Migrants: Crisis for America’s diversity and prosperity?

प्रवासन ने ऐतिहासिक रूप से सभ्यताओं, अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1948 में इज़राइल की स्थापना ने उत्पीड़न से भाग रहे यहूदियों के लिए एक मातृभूमि प्रदान की। उनके प्रवासन ने इज़राइल की तीव्र आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में योगदान दिया।

इसी तरह, 1947 के विभाजन के बाद विस्थापित हुए पंजाबी और सिंधी समुदायों ने व्यापार, उद्योग और उद्यमशीलता में उत्कृष्टता हासिल करके भारत में अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में मदद की, खासकर दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में...। राजस्थान के मारवाड़ी पूरे भारत में प्रवास कर गए, सफल व्यापारी और उद्योगपति बन गए, जिन्होंने भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सदियों से, मध्य एशिया के समूह, जिनमें मुगल और अन्य खानाबदोश जनजातियां शामिल हैं, भारत और अन्य क्षेत्रों में नई संस्कृतियां, प्रौद्योगिकियां और शासन प्रणाली लेकर आए, जिन्होंने व्यापार और विजय के माध्यम से इतिहास को आकार दिया। 

राजनीतिक टिप्पणीकार प्रो. पारस नाथ चौधरी के मुताबिक, "प्रवास मानव इतिहास के ताने-बाने में बुना हुआ है। महाद्वीपों में फैले हमारे शुरुआती पूर्वजों से लेकर नए अवसरों की तलाश करने वाले आधुनिक समूहों तक, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने का कार्य केवल एक विकल्प नहीं है बल्कि यह हमारे डीएनए में निहित एक मौलिक विशेषता है। प्रवास ने सभ्यताओं, संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो अक्सर व्यक्तियों और समुदायों को ठहराव और निराशा से समृद्धि और प्रगति की ओर ले जाता है।" 

जब हम प्रवास के ऐतिहासिक संदर्भ पर विचार करते हैं, तो हम उन लोगों के पीछे सफलता का एक पैटर्न देखते हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि से दूर यात्रा को अपनाया है। प्रवासन लोगों को उनके परिचित परिवेश की सीमाओं से मुक्त करता है, चाहे वह सीमित संसाधन हों, स्थिर सामाजिक गतिशीलता हो या दमनकारी शासन व्यवस्थाएं हों। इस मुक्ति की तुलना ‘कुएं में मेंढक’ सिंड्रोम पर काबू पाने से की जा सकती है, जहां व्यक्ति अपनी संकीर्ण धारणाओं के भीतर रहने से संतुष्ट रहते हैं। जो लोग अपने कुओं से बाहर निकलते हैं, जो विविध अनुभवों और संस्कृतियों की विशालता को अपनाते हैं और वैश्विक समाज में समृद्ध भागीदार बनते हैं। 

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जॉन केनेथ गैलब्रेथ ने मानवीय दुखों पर काबू पाने के लिए प्रवासन को एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में महत्व दिया। विकास और अवसर के लिए नए रास्ते तलाशने से, प्रवासी अक्सर अपने कौशल, सांस्कृतिक दृष्टिकोण और लचीलापन अपने नए घरों में लाते हैं। अजय झा और टीपी श्रीवास्तव जैसे सामाजिक अर्थशास्त्री बताते हैं कि प्रवासन के सकारात्मक प्रभाव व्यक्तिगत और पारिवारिक समृद्धि से परे हैं। आर्थिक रूप से, प्रवासी समुदायों ने अपने मेजबान देशों के विकास में योगदान देने की अपनी क्षमता का लगातार प्रदर्शन किया है और साथ ही साथ अपने मूल देशों की सहायता भी की है। 

प्रवासी अक्सर नवाचार को आगे बढ़ाने, श्रम अंतराल को भरने और आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, कई प्रवासी ऐसे ज़रूरी काम करते हैं, जिन्हें स्थानीय आबादी अनदेखा कर सकती है, जिससे कृषि से लेकर तकनीक तक के उद्योगों का सुचारू संचालन सुनिश्चित होता है। 

समाजवादी विचारक राम किशोर कहते हैं, "प्रवास को अपनाने वाले शहर अक्सर सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रचनात्मकता के जीवंत केंद्र बन जाते हैं, जो विविधता की ताकत को प्रदर्शित करते हैं। यह बदले में समझ को बढ़ावा देता है और विभिन्न समुदायों के बीच पुल बनाता है, जिससे अधिक सामंजस्यपूर्ण समाज का मार्ग प्रशस्त होता है।"

प्रवास सिर्फ़ एक ऐतिहासिक आंदोलन नहीं है बल्कि यह मानव प्रगति का एक महत्वपूर्ण चालक है। सामाजिक कार्यकर्ता और विश्व-भ्रमण करने वाली मुक्ता गुप्ता टिप्पणी करती हैं, "जब हम एक ऐसी दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं जो प्रवास से तेज़ी से जुड़ी हुई है, तो आइए हम इसे समृद्धि, लचीलापन और सांस्कृतिक समृद्धि के मार्ग के रूप में मनाएं और उसका बचाव करें।" 

अभी नहीं, लेकिन दीर्घावधि में ट्रंप की नीतियों का खामियाजा अमेरिका को भुगतना ही पड़ेगा, क्योंकि जो प्रवासी निकाले जा रहे हैं, वे अमरीकी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। ये अलग बात है कि अमेरिकी के उत्पादन क्षेत्र में जबरदस्त अभियांत्रिक स्वचालन हुआ है जिससे श्रमिकों की मांग काफी घट रही है।



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