भारतीय शोधकर्ताओं ने अनन्नास में एक ऐसे जीन की पहचान की है जो विनाशकारी फफूंद के हमलों से इस फल को शक्तिशाली और घरेलू रूप से विकसित तरीके से रक्षा प्रदान कर सकता है।
अनन्नास ब्रोमेलियासी परिवार का महत्वपूर्ण फल है जो स्वादिष्ट, रसदार स्वाद के साथ-साथ कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जिससे सभी आवश्यक तत्वों से युक्त पौष्टिक आहार प्राप्त होता है।
Read in English: Towards a fungus-fighting pineapple…
अनन्नास की खेती के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक फ्यूजेरियोसिस नामक रोग है, जो आक्रामक फफूंद फ्यूजेरियम मोनिलिफॉर्म के कारण उत्पन्न होता है। यह पौधे के तने को विकृत कर देता है, पत्तियों को काला कर देता है और फलों को अंदर से सड़ा देता है। किसानों के लिए यह भारी नुकसानदायक है।
वर्षों से पारंपरिक प्रजनन तकनीकों के माध्यम से ऐसे फफूंदों के तेज़ी से बढ़ते हमले से निपटने के प्रयास किए जाते रहे हैं। वैज्ञानिक अब पौधों के भीतर ही ऐसे समाधान ढूंढने के प्रयास कर रहे हैं जो रोगों के विरुद्ध कवच का काम कर सकें।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सोमैटिक एम्ब्रियोजेनेसिस रिसेप्टर काइनेज के पीछे के जीन की पहचान की है, जो पौधों की बीमारियों के विरूद्ध सामूहिक प्रतिरक्षा को सक्रिय कर सकता है।
अनन्नास के आनुवंशिक कोड के एक भाग एसीएसईआरके3 जीन, जो पौधों को प्रजनन और बलाघात से बचने में मदद करने के लिए जाना जाता है, पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोस संस्थान के प्रो. गौरव गंगोपाध्याय ने अपनी पीएचडी छात्रा डॉ. सौमिली पाल के साथ मिलकर अनन्नास के पौधों में इस जीन को बढ़ाया—या ‘अति-अभिव्यक्त’ किया। इस आनुवंशिक बदलाव ने पौधे की प्राकृतिक सुरक्षा को सक्रिय कर दिया, जिससे यह सामान्य किस्मों की तुलना में फ्यूजेरियम फफूंद से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से लड़ने में सक्षम हो गया।
इन विट्रो सेल्युलर एंड डेवलपमेंटल बायोलॉजी-प्लांट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित उनके अध्ययन में फंगल रोग सहिष्णुता उत्पन्न करने के लिए एक अंतर्निहित अनन्नास जीन की अति अभिव्यक्ति का पहला साक्ष्य प्रदान किया गया है।
पादप वैज्ञानिक और कृषिविद इस अध्ययन के आधार पर फ़्यूज़ेरियम प्रतिरोधी अनन्नास की एक ऐसी किस्म विकसित कर सकते हैं जिसमें प्रजनन की कई पीढ़ियों में जीन विलोपन की संभावना न्यूनतम हो। यह एक अंतर्निहित जीन की अतिअभिव्यक्ति का पहला प्रलेखित उदाहरण है, जो अनन्नास में कायिक भ्रूणजनन और फंगल रोग सहिष्णुता को बढ़ाता है।
एसीएसईआरके3- अति-अभिव्यक्त अनन्नास वंशक्रम अतिसंवेदनशील जंगली अनन्नास प्रजातियों की तुलना में फ्यूजेरियम संक्रमण के प्रति अधिक प्रतिरोधी थे, क्योंकि उनमें तनाव-संबंधी मेटाबोलाइट और अपमार्जक एंजाइम की गतिविधि बढ़ गई थी। नियंत्रित परीक्षणों में, ये ट्रांसजेनिक पौधे ऊंचे और हरे-भरे रहे, जबकि सामान्य अनन्नास फफूंद के प्रभाव में मुरझा गए।
अनन्नास उत्पादकों के लिए लाभकारी एक नई बहु-फंगल-सहिष्णु अनन्नास किस्म दीर्घकालिक प्रक्षेत्र अध्ययन के माध्यम से उपलब्ध हो सकती है। यदि दीर्घकालिक प्रक्षेत्र परीक्षण सफल होते हैं, तो उत्पादक जल्द ही ऐसी किस्में उगा सकते हैं जो केवल इन आनुवंशिक रूप से अनुकूल पौधों की टहनियों का उपयोग करके कई फंगल खतरों का सामना कर सकती हैं।






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