नवजात बच्चों के लिए धूम्रपान का साया भी है जानलेवा


धूम्रपान के घातक प्रभाव से हृदय रोग, अस्थमा, निमोनिया, स्ट्रोक और विभिन्न प्रकार के कैंसर में से संभावित मुख कैंसर जैसी गंभीर स्थितियां विकसित हो जाती हैं। लेकिन, अक्सर धूम्रपान न करने वाले भी इससे होने वाली बीमारी के शिकार हो जाते हैं। खासकर नवजात बच्चों के लिए यह बहुत हानिकारक हो सकता है।

दरअसल, कई बार लोग खुद धूम्रपान नहीं करते हैं, मगर धूम्रपान करने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारजनों के बीच रहकर दूसरों द्वारा किए जा रहे धूम्रपान के धुएं का सेवन करते हैं। ऐसे लोगों को भ्रम हो सकता है कि उन्हें कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा इसलिए नहीं है क्योंकि वे तो सिगरेट पीते ही नहीं, मगर यह भी उतना ही खतरनाक है जितना कि खुद सिगरेट पीने वाले को।

गर्भवतियों के लिए यह स्थिति उनके और उनके गर्भस्थ बच्चे दोनों के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। धूम्रपान के धुएं के प्रभाव से बच्चे का विकास रुक सकता है और गर्भपात भी हो सकता है। धूम्रपान के धुएं की वजह से अचानक मृत्यु सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, द्वितीयक धूम्रपान से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है, क्योंकि उनके फेफड़े और दूसरे अंग नाजुक होते हैं और प्रदूषण, धुएं या धूम्रपान के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इसका खामियाजा सबसे ज्यादा उन बच्चों को भुगतना पड़ता है, जिनके मां-बाप या इनमें से कोई एक स्वयं धूम्रपान करता है। धूम्रपान के संपर्क में रहने से बच्चों को दांतों संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। इससे बच्चों में कैंसर, मधुमेह और सांस संबंधी कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

इस रोग में पैदा हुए बच्चों की एक साल के अंदर बिना किसी कारण के मौत हो सकती है। कई बार बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है। बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है। बच्चे की मानसिक क्षमता सामान्य से कम हो सकती है। बच्चे के सीखने और समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अगर मां खुद धूम्रपान करती है तो ये सारे खतरे कई गुना तक बढ़ जाते हैं।

धूम्रपान से तात्पर्य सिर्फ सिगरेट पीने से ही नहीं है, बल्कि इसके अंतर्गत बीड़ी, तम्बाकू युक्त दूसरे पदार्थ, सिगार और पाइप भी शामिल हैं। तम्बाकू में लगभग 4000 रासायनिक यौगिक होते हैं, जिनमें से लगभग 250 रसायन जान ले सकते हैं। अत: द्वितीयक धूम्रपान से न केवल गर्भवती माताओं को बचाने की जरूरत है बल्कि नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों को भी इसके साये से बचाने की महती आवश्यकता है।



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