भारत ने सेमीकंडक्टर उत्पादन में महाशक्ति बनने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। देशभर में एक साथ कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की महत्वाकांक्षी प्रगति का सबसे अच्छा उदाहरण असम के मोरीगांव में सेमीकंडक्टर इकाई का विकास है। इसका नेतृत्व टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड कर रहा है।
Read in English: India is ready to become 'superpower' in semiconductor production
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देशभर में कई अन्य सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना को भी मंजूरी दे दी है। इनमें गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और साणंद में सीजी पावर की नई सुविधाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कायन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड को भी साणंद में एक इकाई स्थापित करने की मंजूरी दी गई। यह विस्तार सेमीकंडक्टर आयात पर निर्भरता को कम करने और वैश्विक सेमीकंडक्टर में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मोहाली में सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला के आधुनिकीकरण और इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना और बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को लागू करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। ये संयंत्र सेमीकंडक्टर उत्पादन की हर श्रेणी के लिए समर्थन सुनिश्चित करते हैं। ये एक ऐसे इकोसिस्टम को बढ़ावा देंगे जिनमें चिप डिजाइन, निर्माण, परीक्षण और असेंबली शामिल है।
अकेली असम की मोरीगांव परियोजना से 27 हजार करोड़ रुपये के निवेश के साथ प्रतिदिन 480 लाख सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन होने की उम्मीद है। इसमें फ्लिप चिप और इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज जैसी उन्नत पैकेजिंग तकनीकें इस्तेमाल की जाएंगी। ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, दूरसंचार और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आवश्यक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई इस इकाई के 2025 के मध्य तक पूरा होने का अनुमान है।
मोरीगांव इकाई तकनीकी विकास से कहीं आगे जाती है। यह 15 हज़ार प्रत्यक्ष और 11 हज़ार से 13 हज़ार अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करके महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करेगी। इतना ही नहीं, यह असम और आस-पास के क्षेत्रों में क्षेत्रीय आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
उच्च क्षमता वाली उत्पादन साइट के रूप में इस इकाई का दैनिक उत्पादन घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों को आपूर्ति किया जाएगा। इससे भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित होगा। उद्योग के अनुमानों के अनुसार साल 2023 में भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार लगभग 38 अरब डॉलर का होगा और अनुमान है कि 2030 तक यह 109 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा।
जैसे-जैसे दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ती जा रही है, भारत का बढ़ता सेमीकंडक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर नवाचार को बढ़ावा देने, रोजगार सृजित करने और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में भारत की स्थिति को सुरक्षित करने के लिए तैयार है।
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