हिमालयी बादलों में मौजूद जहरीली धातुएं स्वास्थ्य के लिए हैं खतरनाक

हिमालय की ऊंचाइयों में, जहां बादल बर्फ से ढकी चोटियों के ऊपर तैरते रहते हैं, वहां हवा के साथ एक खतरनाक प्रदूषण फैल रहा है। एक नए वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि बादल, जिन्हें पहले सबसे शुद्ध पेयजल का स्रोत माना जाता था, निचले प्रदूषित इलाकों से जहरीली धातुओं को धरती के सबसे ऊंचे और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्रों तक पहुंचा रहे हैं।

Read in English: Himalayan clouds carrying toxic metals pose health risks

इन निष्कर्षों से न केवल स्वच्छ पर्वतीय वर्षा का भ्रम समाप्त हो रहा है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी यह खतरे का अलार्म भी बजा रहा है जिसमें कैंसर से लेकर विकास संबंधी विकारों के संभावित खतरे मौजूद हैं।

बादलों में धातुओं का होना चिंताजनक है क्योंकि महाद्वीपीय लंबी दूरी के परिवहन द्वारा मानव स्वास्थ्य पर इसका व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हालांकि, निम्न-स्तरीय बादलों, विशेष रूप से भारत में देर से आने वाले गर्मियों एवं शुरुआती मानसूनी बादलों में धातु सम्मिश्रण की जानकारी की कमी है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट ने पश्चिमी घाट एवं पूर्वी हिमालय पर मानसून की शुरुआत में गैर-वर्षाकारी बादलों में विषाक्त धातुओं की उपस्थिति देखी है। यह भी पाया गया है कि पूर्वी हिमालय के ऊपर बादलों में 40-60 फीसदी अधिक विषाक्त धातुओं जैसे कैडमियम, तांबा और जिंक का स्तर उच्च होने के कारण 1.5 गुना ज्यादा प्रदूषण स्तर था, जो भारी यातायात एवं औद्योगिक उत्सर्जनों से उत्पन्न होते हैं। यह कैंसरजन्य रोगों का कराण बनते हैं और उच्च स्वास्थ्य जोखिम प्रस्तुत करते हैं।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सनत कुमार दास के नेतृत्व में वायुमंडलीय अनुसंधान दल ने सांस लेने, निगलने एवं त्वचा द्वारा अवशोषण के माध्यम से कैंसरजन्य और गैर-कैंसरजन्य रोगों के जोखिम का आकलन किया। उन्होंने इन धातुओं के संभावित स्रोतों की पहचान करने के लिए सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करते हुए एक विस्तृत अध्ययन किया है।

वर्तमान अवलोकन एवं सिमुलेशन के परिणामों से पता चला कि भारतीय बच्चों में वयस्कों की तुलना में ऐसी विषाक्त धातुओं से 30 फीसदी ज्यादा खतरा है। पूर्वी हिमालय के ऊपर विषाक्त धातुओं की उच्च सांद्रता वाले प्रदूषित बादलों का सांस के माध्यम से अंतर्ग्रहण गैर-कैंसरजन्य रोगों के लिए सबसे संभावित मार्ग है।

इसके अलावा अध्ययन से यह भी पता चला कि बादलों में घुले क्रोमियम के सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करने से कैंसरजन्य रोगों का खतरा बढ़ गया है। अध्ययन के अनुसार, पूर्वी हिमालय में वाहनों एवं औद्योगिक उत्सर्जन से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड, क्रोमियम, तांबा और जस्ता जैसे विषैले धातुओं से युक्त उच्च प्रदूषित बादल पाए जाते हैं। ऐसे प्रदूषित बादलों का सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करना भारत में कैंसरजन्य एवं गैर-कैंसरजन्य रोगों के संभावित कारण है।

बादल परिवहन माध्यम के रूप में कार्य करते हैं, मिश्रित भारी धातुओं को अपने साथ ले जाते हैं, जिससे त्वचा के संपर्क, सांस द्वारा अंतर्ग्रहण तथा उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वर्षा से एकत्रित जल के सेवन से कैंसरजन्य एवं गैर-कैंसरजन्य रोगों के कारण लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होता है।

इस अध्ययन को ‘एनवायरनमेंटल एडवांसेज’ में प्रकाशित किया गया है जो वायुमंडलीय प्रदूषण एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अनुसंधान के लिए एक नया मार्ग खोलता है। हालांकि, विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय बादल अब भी तुलनात्मक रूप से कम प्रदूषित हैं, जिससे भारत में चीन, पाकिस्तान, इटली और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में एक सुरक्षित स्वास्थ्य क्षेत्र है।

Related Items

  1. बांग्लादेश और भारत के बीच बढ़ रहा है खतरनाक असंतुलन...

  1. सबसे बड़ा सवाल..., कौन कर रहा है आगरा का सत्यानाश…?

  1. लापरवाह ड्राइविंग व दोषी तंत्र के चलते एक्सप्रेसवे पर खो रही हैं जिंदगियां



Mediabharti