तारों की दुनिया का शौकीन था वह भारत का ‘सैटेलाइट मैन’...!


साल 1969 में जिस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने सफर की शुरुआत बैलगाड़ी से की थी आज वही इसरो दुनिया के कई देशों के अनगिनत विदेशी उपग्रह अंतरिक्ष में भेज चुका है। उपग्रह भेजने का सिलसिला 'आर्यभट्ट' के साथ शुरू हुआ, जिसके मिशन का नेतृत्व प्रो. यूआर राव ने किया था। 

अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्वास का पर्याय बने इसरो को इसे कमाने में कई लोगों ने अपना जीवन खपाया है। उन्हीं में से एक प्रो. राव भी थे। जिस वक्त भारत का पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ लॉन्च हुआ तब वह इसरो के चेयरमैन थे। इसीलिए, उन्हें ‘भारत का सैटेलाइट मैन’ कहा जाता है।

राव का जन्म कर्नाटक के एक दूरस्थ गांव मे हुआ था। एक कॉस्मिक-रे फिज़िसिस्ट के रूप में उन्होंने अपना करियर शुरू किया और बाद में वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सानिध्य में काम किया, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का ‘जनक’ कहा जाता है। डॉक्टरेट करने के बाद राव, आगे की रिसर्च के लिए नासा चले गए।

साल 1966 में भारत लौटने पर प्रो. राव ने अंतरिक्ष विज्ञान के लिए भारत के प्रमुख संस्थान भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में एक व्यापक उच्च-ऊर्जा खगोल विज्ञान कार्यक्रम की शुरुआत की। साल 1972 में अपने देश के उपग्रह कार्यक्रम की कल्पना भी उन्हीं की थी। साल 1984 से 1994 तक प्रो. राव भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के रूप में आसमानी ऊंचाइयों तक अपने राष्ट्र के अंतरिक्ष कार्यक्रम को पहुंचाने के लिए काम करते रहे।

राव पहले भारतीय थे जिन्हें साल 2013 में ‘सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम’ में जगह मिली। यह वही वर्ष था जब इसरो ने पहली बार अंतर्ग्रह उपग्रह ‘मंगलयान’ लॉन्च किया था। जो इस तरह का दुनिया का सबसे सस्ता और कम समय में तैयार किया हुआ मिशन था।

दुनिया की सबसे बेहतर माने जाने वाली एजेंसी नासा को इसी मिशन के लिए 690 मिलियन डॉलर और पांच साल का समय लगा था जबकि इसके विपरीत इसरो ने सिर्फ 18 महीने और 69 मिलियन डॉलर में ही इसे तैयार कर दिया था। इसी तरह चंद्रयान मिशन नासा के बजट के 10 फीसदी में ही तैयार हो गया था। इसरो के चंद्रयान का बजट हॉलिवुड मूवी 'ग्रैविटी' से भी कम था। भले ही इसरो का वार्षिक बजट नासा के बजट के लगभग 12 गुना कम है। लेकिन, उपरोक्त तथ्य अपने आप में इसरो की क्षमता को दर्शाते हैं। 

इसरो ने साल 2017 में एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर पूरी दुनिया को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया था। ऐसा करने वाली वह दुनिया की एकमात्र अंतरिक्ष एजेंसी है। इससे पहले, रूस की एजेंसी एक बार में सिर्फ 34 सैटेलाइट लॉन्च कर सकी थी। अफसोस इसी वर्ष जुलाई महीने में भारत ने राव को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया। तारों की दुनिया का शौकीन तारा बन गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।



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