प्रयागराज में 144 वर्षों के उपरांत आयोजित महाकुंभ में देश-विदेश के संत, आचार्य, पीठाधीश और चारों शंकराचार्य सहित करीब 67 करोड़ से ज्यादा लोग गंगा मैया में पुण्य स्नान के माध्यम से नई शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए संगम की पावन धरती पर पधारे।
कुंभ में जहां साधु-संतों व श्रद्धालुओं का आगमन होता है तो ऐसे स्थान पर राजनेताओं का आना भी स्वाभाविक हो जाता है, क्योंकि इससे उन्हें दो लाभ प्राप्त होते हैं। प्रथम तो संतों का आशीर्वाद और दूसरा गंगा मैया के अमृत रूपी जल में स्नान करके अपने समस्त पाप धोकर नई ऊर्जा व शक्ति का सृजन करना।
इस महाकुंभ में करोड़ों सनातनियों ने डुबकी लगाई और जो किसी कारणवश नहीं पहुंच सके, उन्होंने संगम का पावन जल घर पर ही मंगवाकर अपने ऊपर छिड़ककर पुण्य प्राप्त कर लिया। इससे प्रतीत होता है कि भारत के अधिकांश सनातनियों के पाप धुल गए हैं और उनसे यह आशा की जाती है कि अब वे भविष्य में कभी भी पाप नहीं करेंगे। अब भारत की 80 फीसदी जनता के ऊपर यह विश्वास किया जा सकता है कि वे अपराधिक प्रवृत्तियों का त्यागकर, महिलाओं पर अत्याचार बन्द कर तथा भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने में जुट जाएंगे।
संगम पर इस विशाल धार्मिक पर्व के सफल आयोजन का सम्पूर्ण श्रेय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। महाकुंभ की शुरुआत से अंत तक संभवतया ऐसा कोई भी दिन नहीं था कि जब उन्होंने अपने व्यस्त समय में से तीन या चार घन्टे की अवधि इस कार्यक्रम की व्यवस्था में व्यतीत न किए हों। संभवतया इसका भी एक विश्व रिकार्ड बन ही गया होगा।
इतने भव्य एवं विशाल महाकुंभ के आयोजन में छोटी-मोटी घटनाएं होना स्वाभाविक हैं, परंतु राई का पहाड़ बनाना भी अपराध है। हमको महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए की गई उत्तम व्यवस्थाओं की प्रशंसा करनी ही चाहिए। सफाई कर्मचारी व प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी क्षमता से अधिक कार्य किया। साथ ही, मुख्यमंत्री के प्रत्येक आदेश का तत्परता से पालन कर महाकुंभ को सफल बनाया।
महाकुंभ में भगदड़ होने के कारण स्नान के लिए आए कुछ श्रद्धालुओं ने प्राण त्याग दिए। इस दुर्घटना का सभी भारतीयों को गहन दुःख है। इस घटना पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं संतगणों ने अपनी श्रृद्धाजंलि अर्पित की। परंतु, इस हृदय विदारक घटना पर एक टिप्पणी, यथा, ‘जिनकी मृत्यु हुई है, उनको मोक्ष की प्राप्ति हो गई है‘ ने सभी के कष्टों में वृद्धि की। यदि उस टिप्पणी में तनिक भी सत्यता है तो सर्वप्रथम उन्हें ही गंगा मैया की गोद में समाधि लेकर मोक्ष प्राप्त कर लेना चाहिए और जनता के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। इससे जनता में उनके प्रति अपार श्रद्धा का भाव जाग्रत होगा।
प्रयागराज की जनता एवं छात्रों ने भी महाकुंभ को सफल बनाने में अपना निःस्वार्थ भाव से पूर्ण सहयोग प्रदान किया। युवा अपनी मोटरसाइकिल, स्कूटर लेकर 24 घंटे भक्तों की सेवा करते रहे। उनको रेलवे स्टेशन, बस अड्डों से गंगा में स्नान कराने और वापस उनके गन्तव्य स्थानों पर छोड़ते रहे। इन युवाओं का बहुत धन्यवाद।
महाकुंभ का सबसे बड़ा लाभ वहां के होटल मालिकों और उड्डयन कम्पनियों ने उठाया। जो होटल पांच हजार रुपये प्रतिदिन का शुल्क लेते थे वे 30-35 हजार रुपये का शुल्क लेने लगे। जो हवाई किराया 5-6 हजार रुपये का था, वह भी 30-35 हजार रुपये हो गया। उनके ऊपर कोई नियंत्रण नहीं हो सका, परन्तु यह स्वाभाविक है।
बहुत सी समाजिक संस्थाओं ने हिन्दुओं को पुण्य का लाभ कराने के लिए देश के कोने-कोने से उनको प्रेरित किया और उनका आधे व्यय से पूर्ण व्यय भी स्वयं वहन किया। उनको भी साधुवाद है।
कुल मिलाकर, महाकुंभ का सफल आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व की विजय है।
(लेखक आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। यहां व्यक्त विचार उनके स्वयं के हैं।)
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