विश्व स्वास्थ्य संगठन के विश्व मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2011 पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार विश्व स्तर पर भारत में डिप्रेशन यानी अवसाद की दर सबसे ज्यादा है। अधिक चिंताजनक स्थिति यह है कि सभी आयु के लोग, किशोर से लेकर प्रौढ़ तक, अवसाद से ग्रस्त हो रहे हैं। यह सभी आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है। चाहे एक अभावग्रस्त व्यक्ति जो एक शाम के भोजन के लिए जद्दोजहद कर रहा है या एक अमीर व्यक्ति जो विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा है। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि अवसाद ग्रस्त व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर मानसिक स्थिति में अपना जीवन ही समाप्त करने का निर्णय ले लेता है। भारत में किशोरों और युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृति ने यह इस बात को रेखांकित किया है कि इस बीमारी पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए। (Read in English: Tackling Depression With Yoga…)
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