अहिंसा जीवन की आधार भूमि है। अहिंसा के अभाव में त्राहि-त्राहि है और अहिंसा के सद्भाव में ही त्राण है। वस्तुत: व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और राष्ट्र इसके अभाव में टिक ही नहीं सकते। इसलिए, सभी धर्मों ने इसे एक स्वर से स्वीकार किया है।
अहिंसा जीवन की आधार भूमि है। अहिंसा के अभाव में त्राहि-त्राहि है और अहिंसा के सद्भाव में ही त्राण है। वस्तुत: व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और राष्ट्र इसके अभाव में टिक ही नहीं सकते। इसलिए, सभी धर्मों ने इसे एक स्वर से स्वीकार किया है।
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