एक देश-एक कर की दिशा में बड़ा कदम है फास्टैग, होंगे कई फायदे


केंद्र सरकार ने टोल प्लाजा पर टोल कलेक्शन को आसान और सुरक्षित बनाने के साथ-साथ टोल पर लगने वाले लंबे जाम से निजात पाने के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया है।

दरअसल, फास्टैग एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टैग है। इस टैग को गाड़ी के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है जो वाहन चालक के बैंक अकाउंट या फिर वॉलेट से जुड़ा रहता है। फास्टैग के द्वारा जब भी गाड़ी टोल प्लाजा क्रॉस करती है तो एक स्कैनर के जरिए ही फास्टैग एकाउंट से पैसों का भुगतान हो जाता है। प्लाजा पर आपको रुककर या कैश के रूप में टोल टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा।

फास्टैग के शुरू हो जाने के बाद, सिस्टम से कैशलेस टोल ट्रांजैक्शन में काफी बढ़ोतरी होगी। केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने दिसंबर में कहा था कि इससे मार्च तक टोल कलेक्शन करीब 34 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। टोल कलेक्शन के लिए जीपीएस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से टोल कमाई अगले पांच सालों में 1.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

इसके साथ-साथ, फास्टैग की मदद से टोल प्लाजा से काफी जल्दी गुजरा जा सकता है तो ऐसे में इंतजार की समस्या भी दूर हो जाएगी और पेट्रोल-डीजल की भी बचत होगी। फास्टैग वॉलेट में पड़ी रकम का प्रयोग पांच वर्ष तक किया जा सकेगा।

इसके अलावा, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में 4,37,000 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिसमें मरने वालों की संख्या 1,54,732 है। इनमें से 30 फीसदी एक्सीडेंट्स वे हैं जो राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हैं। कोहरे या तेज रफ्तार के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं आम हैं। इस ऐप के माध्यम से वाहन चालकों का डाटा सेव हो जाएगा। इससे उनकी हर एक्टीविटी की जानकारी मिल सकेगी। वाहन चालक का मोबाइल नंबर, गाड़ी का नंबर कंट्रोल रूम में ऐप के जरिए मौजूद रहेगा और इसी तरह फास्टैग सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी लाएगा।

नए नियम के अनुसार अगर कोई भी वाहन जिसमें फास्टैग नहीं लगा हुआ है, या जिस वाहन में वैध, एक्टिव फास्टैग नहीं है, उसे शुल्क प्लाजा में प्रवेश करने पर उस श्रेणी के लिए निर्धारित शुल्क का दोगुना शुल्क के बराबर की राशि का भुगतान करना होगा।

ध्यान रहे, देश में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले करीब 515 टोल प्लाजा हैं। अगर कोई इन राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा से गुजरता है तो उसे फास्टैग अनिवार्य है। फास्टैग को लागू करने के बाद भारत उन देशों में शामिल हो गया है जहां आरएफआईडी या फास्टैग से टोल कलेक्शन एक तरह से अनिवार्य होता नजर आ रहा है। यूरोप, जापान, अमेरिका, कोरिया आदि देश में आरएफआईडी के माध्यम से टोल लिया जाता है।

इसके अलावा, एक देश-एक कर की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है। देश में नेशनल हाइ-वे टोल जरूरी है लेकिन कई राज्यों के भी टोल हैं और कई जगह प्राइवेट ऑपरेटर होते हैं, जहां फास्टैग लागू है, लेकिन अनिवार्य नहीं हैं। ऐसे में सरकार का फोकस है कि पूरे देश में एक देश-एक कर की व्यवस्था लागू हो। अगर कोई फास्टैग लेना चाहता है तो फोन में प्ले स्टोर में जाकर माई फास्टैग ऐप को डाउनलोड करें और वहां से कोई भी अपने घर मंगा सकते हैं।

अभी तक फास्टैग के माध्यम से जो प्रतिदिन टोल कलेक्शन हो रहा है वह 90 करोड़ रुपये है। अभी जो कंप्यूटर से टोल प्लाजा से निकलता है उसमें चार या पांच मिनट लगते है, लेकिन फास्टैग के माध्यम से जब टोल दिया जाता है तो यह समय एक मिनट से भी कम हो जाता है।



Related Items

  1. टोल प्लाजा से सेना हटी लेकिन ममता बनर्जी पूरी रात सचिवालय में ही

  1. टोल प्लाजा चौकी प्रभारी ने कुछ ही घ्ंाटों में की चोरी की गाडी बरामद

  1. टोल प्लाजा के हैड टीसी का शव मिला




Mediabharti