आगरा : ‘क्या पुलिस मानवाधिकारों को संरक्षित रखने में सक्षम है…?’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि वक़्त की जरूरत है कि समूचे पुलिस तंत्र का आधुनिकीकरण और मानवीयकरण हो तथा व्यवस्था को राजनैतिक हस्तक्षेप व जातिगत प्रभावों से स्वतंत्र किया जाए।
Related Items
खून, रिश्वत और नाइंसाफी के दलदल में फंसी है भारत की पुलिस व्यवस्था!
‘असुरक्षित वातावरण’ और ‘औपनिवेशिक पुलिस’ है मानवाधिकारों के लिए खतरा
ट्रैफिक पुलिस को व्यवस्था में करने चाहिए बुनियादी बदलाव