लंबे समय से शास्त्रीय पत्रकारिता के अध्येता कहते आ रहे हैं कि पत्रकारों को न तो किसी के पक्ष में बोलना चाहिए और न ही किसी के विरोध में। मतलब एक पत्रकार को ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ के सिद्धांत पर चलना चाहिए। लेकिन, हाल के वर्षों में हमारे देश की मीडिया बेवजह की बहस में पड़कर विभिन्न मुद्दों पर लगातार पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाती आ रही है...
Read More