साहित्य / मीडिया

महाकुंभ में जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, वहीं मेले में लगे विभिन्न प्रदर्शनी पंडालों में साहित्य, संस्कृति और ज्ञान की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है...

Read More

हिंदी भाषा की बढ़ती लोकप्रियता और व्यापक स्वीकार्यता इस बात का प्रमाण है कि यह सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही है, बल्कि अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है। हिंदी को भारत की लोक भाषा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली भाषा बनाने में साहित्यकारों, हिंदी संस्थानों और भाषा प्रेमियों का योगदान बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन जनसंचार माध्यमों, विशेष रूप से बॉलीवुड और टेलीविजन चैनलों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता...

Read More

ऐसी दुनिया जहां स्वतंत्र पत्रकारिता निहित स्वार्थों से खतरे में है, हिंसक दमन और प्रौद्योगिकी के ‘बिग ब्रदरली’ चालों से घिरी हुई है, वहां इतिहास की गूंज एक बार फिर सुनाई दे रही है...

Read More

कुछ रोज़ पहले, क्रिकेट खिलाड़ी अश्विन रवि चंद्रन ने चेन्नई में एक छात्रों की एक सभा को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा न मानते हुए सिर्फ राष्ट्र की एक आधिकारिक भाषा बताया। तमिल नाडु में भारतीय जनता पार्टी का भी यही मानना रहा है...

Read More

पिछले हफ्ते, बीजापुर के एक युवा स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की चौंकाने वाली हत्या ने भ्रष्टाचार को उजागर और संघर्ष से प्रभावित, खासकर माओवादी क्षेत्रों में ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के सामने आने वाले गंभीर खतरों को एक बार फिर सामने रखा है...

Read More

भारत जैसे खुले लोकतांत्रिक समाज में, मास मीडिया कई तरह की भूमिकाएं निभाता है। यह एक निगरानीकर्ता के रूप में कार्य करता है, सत्ता को जवाबदेह बनाता है, और सरकार और जनता के बीच एक पुल का काम करता है। 

Read More


Mediabharti