एक युवा संन्यासी था। उस पर एक राजकुमारी मोहित हो गई। राजा को पता चला तो उसने संन्यासी से राजकुमारी के साथविवाह करने को कहा। संन्यासी बोला, 'मैं तो हूं ही नहीं।
Read Moreएक युवा संन्यासी था। उस पर एक राजकुमारी मोहित हो गई। राजा को पता चला तो उसने संन्यासी से राजकुमारी के साथविवाह करने को कहा। संन्यासी बोला, 'मैं तो हूं ही नहीं।
Read Moreबगदाद में मारुक नाम के एक साधु पुरुष रहते थे। एक बार एक भाई उनके साथ उनकी झोंपड़ी में मेहमान के नाते ठहरे, नमाज का वक्त होने पर वे भाई उठे और एक कोने में जाकर नमाज पढ़ने लगे।
Read Moreमनुष्य का जीवन नश्वर है। सम्भवत: देव-दानवों का जीवन भी नश्वर रहा होगा, इसीलिए उन लोगों ने सागर का मंथन करके अमृत प्राप्त कर अमर हो जाने का संकल्प किया।
Read Moreरवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है, 'तुम्हारे जीवन में जैसे-जैसे दूसरों को स्थान मिलेगा, वैसे-वैसे तुम्हारा अपना व्यक्तित्व होगा।' पुराने समय के खगोलशास्त्री मानते थे कि विश्व का मध्यबिंदु पृथ्वी ही है।
Read Moreमनुष्य के आंतरिक शत्रु अरिषड् वर्ग हैं, किंतु बाह्य शत्रु सप्त व्यसन हैं- नारी मोह, धूर्तक्रीड़ा, सुरापान, आखेट, परनिंदा, अधिकार का दर्प और अपव्यय। समाज को स्वस्थ, सुखी, संपन्न, सुदृढ़ तथा सुचरित्र बनाने के लिए मनीषियों एवं आचार्यो ने मानव के लिए एक नैतिक आचार-संहिता का विधान किया है।
Read More