भारत बना एशिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश, जापान को पीछे छोड़ा

एक बड़े बदलाव के तहत, जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत एशिया पावर इंडेक्स में तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गया है, जो इसकी बढ़ती भू-राजनीतिक हैसियत को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत के सक्रिय विकास, युवा आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दम पर हासिल हुई है।

लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा 2018 में लॉन्च किया गया एशिया पावर इंडेक्स, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पावर की स्थिति का एक वार्षिक माप है। यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 27 देशों का मूल्यांकन करता है, बाहरी वातावरण को आकार देने और उस पर प्रतिक्रिया करने की उनकी क्षमता की जांच करता है। यह सूचकांक राज्यों की भौतिक क्षमताओं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उनके प्रभाव दोनों पर ध्यान केंद्रित करता है।

Read in English: India becomes 3rd Most Powerful Nation in Asia, Surpasses Japan

एशिया पावर इंडेक्स में शक्ति को संसाधन और प्रभाव-आधारित निर्धारकों में बांटा गया है। संसाधन-आधारित निर्धारकों के तहत किसी देश की मुख्य आर्थिक ताकत, सैन्य क्षमता, संस्थागत मजबूती, भू-राजनीतिक सुरक्षा और संसाधन सुरक्षा सहित राज्य स्थिरता के लिए खतरों को रोकने की आंतरिक क्षमता तथा भविष्य के संसाधनों को रखा गया है। जबकि, प्रभाव-आधारित निर्धारकों के तहत आर्थिक संबंध, रक्षा नेटवर्क, कूटनीतिक प्रभाव तथा सांस्कृतिक प्रभाव के मानकों को रखा गया है।

किसी देश का समग्र शक्ति स्कोर इन आठ उपायों के भारित औसत से प्राप्त होता है, जिसमें 131 व्यक्तिगत संकेतक शामिल होते हैं। इसके परिणाम इस बात की सूक्ष्म समझ प्रदान करते हैं कि देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने संसाधनों को कैसे अपने प्रभाव में बदलते हैं।

साल 2024 एशिया पावर इंडेक्स में धीरे-धीरे हो रहे इस सुधार के साथ, भारत अपनी पूरी क्षमता हासिल करने और क्षेत्र में अपना प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है। भारत की इस उपलब्धि के पीछे कई मुख्य कारक हैं। इनमें से एक है आर्थिक विकास। भारत ने कोविड महामारी के बाद बड़े स्तर पर आर्थिक सुधार किए हैं। जिससे इसकी आर्थिक क्षमता में 4.2 अंकों की वृद्धि हुई है। भारत की बड़ी आबादी और मजबूत जीडीपी वृद्धि ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत किया है।

भारत के भविष्य के संसाधनों के स्कोर में 8.2 अंकों की वृद्धि हुई है, जो संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश का संकेत है। अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों विशेष रूप से चीन और जापान के विपरीत, भारत को अपनी युवा आबादी से लाभ मिलता है जो कि आने वाले दशकों में आर्थिक विकास और श्रम बल विस्तार को गति देती रहेगी।

भारत की गुटनिरपेक्ष रणनीतिक स्थिति से नई दिल्ली के लिए जटिल अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में प्रभावी रूप से नौवहन करना संभव हुआ है। 2023 में कूटनीतिक संवादों के मामले में भारत छठे स्थान पर रहा, जिससे बहुपक्षीय मंचों में इसकी सक्रिय भागीदारी का पता चलता है।

इसके अलावा, भारत की बड़ी आबादी और आर्थिक क्षमताएं इसके लिए पर्याप्त संभावनाएं पैदा करती हैं। सांस्कृतिक प्रभाव में भारत का स्कोर भी तुलनात्मक रूप से मजबूत रहा है, जिसे इसके वैश्विक प्रवासी और सांस्कृतिक निर्यात से समर्थन मिल रहा है।

इसके अलावा, बहुपक्षीय कूटनीति और सुरक्षा सहयोग में भारत की भूमिका पर भी जोर दिया गया है। वार्ताओं में भारत की भागीदारी, साथ ही क्वाड में इसके नेतृत्व ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दिया है। हालांकि, ऐसा औपचारिक सैन्य गठबंधनों के बाहर रहकर ही हुआ है। भारत की आर्थिक पहुंच, भले ही सीमित है, लेकिन इसमें विशेष रूप से रक्षा बिक्री में अच्छा सुधार देखा गया है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदा इसका ही एक उदारहण है। भले ही ये घटनाक्रम छोटे पैमाने पर हैं, लेकिन इससे पता चलता है कि भारत ने अपने निकटतम पड़ोसी से परे अपनी भू-राजनीतिक ताकत को बढ़ाना शुरू कर दिया है।

साल 2024 एशिया पावर इंडेक्स भारत को एशिया में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में दर्शाता है। देश का पर्याप्त संसाधन आधार इसे भविष्य में विकास के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करता है। भारत के लिए नजरिया आशावादी बना हुआ है। निरंतर आर्थिक विकास और बढ़ते कार्यबल के साथ, भारत आने वाले वर्षों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए अच्छी स्थिति में है। विशेष रूप से, भारत का बढ़ता राजनयिक प्रभाव और इसकी रणनीतिक स्वायत्तता इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाती है।

Related Items

  1. वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा में बढ़ रही है भारत की भूमिका

  1. देश को नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर ले जा रहा है यूपीआई

  1. चुनाव हुए पूरे, अब श्री लंका से ‘कच्चतिवू’ वापस ले भारत...



Mediabharti