हर तरह की कला से जुड़ा है भगवान श्रीकृष्ण का जीवन


भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम, धर्म, राजनीति, समाज और नीति-नियमों की व्यवस्था करने वाला माना जाता है। उनका दर्शन मानव जीवन का आधार है। वह केवल एक राजनीतिक, आध्यात्मिक और योद्धा ही नहीं थे, उन्हें हर तरह की कलाओं में पारंगत भी माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण से धर्म का एक नया रूप और संघ शुरू होता है।

श्रीकृष्ण को हिंदू धर्म में पूर्णावतार माना गया है। कृष्ण गुरु हैं और कृष्ण सखा भी हैं। कृष्ण ही राजनीति, कृष्ण ही धर्म, कृष्ण ही दर्शन और कृष्ण ही योग का पूर्ण आधार हैं। कृष्ण को जानना और उन्हीं की भक्ति करना ही हिंदुत्व का भक्ति मार्ग है। प्रेम को जानने के लिए श्रीकृष्ण को जानना बेहद जरूरी है।

कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश, द्वारकाधीश, वासुदेव आदि कई नामों से उनको जाना जाता है। श्रीकृष्ण के 1008 नाम बताए गए हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनको इस युग में युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है।

कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है। यह ग्रंथ पूरे विश्व में लोकप्रिय है तथा नीति के मार्ग पर चलने की राह दिखाता है।



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