नवरात्रि के दिनों में कन्हैया की नगरी मथुरा देवी नगरी बन जाती है। यहां के कई देवी मंदिरों में देर रात तक पूजा-अर्चना के कार्यक्रम चलते रहते हैं।
इस श्रंखला में यहां मौजूद बीएसए कॉलेज के बीच स्थित कंकाली टीला पर बना मां कंकाली देवी मंदिर अद्भुत है। भक्तों में मां कंकाली देवी की बहुत मान्यता है। मां को कृष्णा काली, कंकाली देवी और योगमाया के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्र के दिनों में हजारों श्रद्धालु मां कंकाली की पूजा करने के लिए यहां आते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त यहां अपनी मुराद लेकर आता है, उसकी मनोकामना मां जरूर पूरी करती हैं। माना जाता है कि कंकाली देवी का अवतार राक्षसों को मारने के लिए हुआ था। नौ दिन मां को नई पोशाक धारण कराकर विशेष श्रंगार कराया जाता है।
कंकाली टीला लगभग साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि यह वही स्थान है, जहां कंस ने देवकी के सभी पुत्रों का वध किया था। यहां पर ही मां योगमाया स्वरूप कन्या का जब कंस ने वध करने का प्रयास किया तब, उन्होंने अपने दर्शन दिए।
कंकाली टीले पर एक कुआं बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस कुएं के जल से स्नान करने एवं परिवार के सदस्यों पर जल के छींटे मारने से ही कई रोग दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के दिनों में माता कंकाली को सिद्ध पीठ के रूप में भी पूजा जाता है। इन्हीं दिनों यहां एक भव्य कुआं मेले का आयोजन भी किया जाता है।
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