जन्म लेने से पूर्व ही मनुष्य का ध्वनि से सहज संबंध स्थापित हो जाता है। यह संबंध मृत्युपर्यन्त जारी रहता है। मनुष्य के सामान्य अनुभव से यह सर्वविदित है कि गर्भस्थ शिशु भी विविध ध्वनियों को सुनकर प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। जब यही ध्वनि निर्दिष्ट लय, ताल के साथ अनुभूतियों को व्यक्त कर रस उत्पन्न करे तो उसे संगीत कहते हैं। इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए अभी "सब्सक्राइब करें", महज एक रुपये में, अगले पूरे 24 घंटों के लिए...
Related Items
आगरा घराने की विलुप्त होती शास्त्रीय संगीत धरोहर
बृज के मंदिरों से लुप्त हो रही हैं संगीत की परंपराएं
जीवन, धर्म और संस्कृति की संवाहिका है यमुना