संकट में है शहर आगरा, ‘हॉर्न’बाज़ी का फैला आतंक


उफ्फ, इतना शोर! कैसे झेलते हैं आगरावासी...! यमुना किनारा रोड पर जाम में फंसी एक अमेरिकन म्यूजिक टीचर बैट्सी ने झल्ला कर कहा। इधर ट्रक वाले, उधर बस वाले, पीछे जुलूस का बैंड, नहा-धोकर लौट रही भैंसें, अद्भुत दृश्य दिखता है महताब बाग से बैटरी रिक्शे में बैठे पर्यटकों को।

भारत की विरासत का रत्न, ताजमहल के साथ, आगरा अब एक ऐसे खतरे का सामना कर रहा है जो इसके मूल स्वरूप को खतरे में डाल रहा है। लगातार हॉर्न बजाने की कर्कशता सार्वजनिक खतरे में बदल गई है, जिससे निवासी परेशान और थके चुके हैं। स्थिति असहनीय है, खासकर रात में, जब ट्रक और बस चालक अपार अराजकता का आनंद लेते दिखते हैं। इससे शहर की शांति खत्म हो रही है।

Read in English: Agra's ‘Horn Horror’, A city in distress…

लोक स्वर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता चेतावनी देते हुए कहते हैं, “हमारे पड़ोस में भारी वाहनों के प्रेशर हॉर्न खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं। इससे असहनीय ध्वनि प्रदूषण हो रहा है और सामुदायिक जीवन में खलल पड़ रहा है।"

पर्यावरणविद् डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य इस तात्कालिकता से सहमत हैं, और सवाल करते हैं कि ड्राइवर लाल बत्ती या ट्रैफिक जाम में फंसे होने पर भी क्यों लगातार हॉर्न बजाते हैं? यह समझ में नहीं आता है।" यमुना किनारा रोड, जो पहले एक खूबसूरत जगह हुआ करती थी, अब तेज आवाज वाले हॉर्न के युद्धक्षेत्र में तब्दील हो गई है। आगरा इस शोर की समस्या से जूझ रहा है, जो इसके मूल ढांचे को तहस-नहस कर रहा है।

वाहनों द्वारा लगातार हॉर्न बजाने की समस्या रात के समय बेहद गंभीर हो जाती है। ट्रक और बस चालक तेज आवाज में हॉर्न बजाने में पर्याप्त आनंद लेते दिखते हैं। शाहगंज, सिकंदरा और जीवनी मंडी चौराहों पर ध्वनि प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है। कालिंदी विहार निवासी हरि दत्त शर्मा के अनुसार, नुनिहाई, राम बाग, फाउंड्री नगर इलाकों में बसों और ट्रकों की भारी भीड़ से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। वाटर वर्क्स चौराहे से लेकर आगरा फोर्ट तक ट्रक और बस चालकों ने जीवन को नरक बना दिया है।

डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि लगातार हॉर्न बजाने से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। डॉ. हरेंद्र गुप्ता कहते हैं कि ध्वनि प्रदूषण के कारण निवासियों, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और तेज आवाज के प्रति संवेदनशील लोगों को परेशानी, असुविधा और यहां तक ​​कि शारीरिक नुकसान भी होता है। लगातार शोरगुल से दैनिक गतिविधियां और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अत्यधिक हॉर्न बजाने से सड़क सुरक्षा को भी बड़ा खतरा होता है।

स्कूल शिक्षक डॉ. अनुभव कहते हैं कि तेज हॉर्न बजाने से भ्रम की स्थिति पैदा होती है, ड्राइवरों का ध्यान भटकता है और सामने सड़क पर ध्यान केंद्रित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है। इससे दुर्घटनाओं में वृद्धि होती हैं। प्रेशर हॉर्न से लापरवाह ड्राइविंग व्यवहार को बढ़ावा मिलता है, जिससे मोटर चालक, पैदल यात्री और आने-जाने वाले जोखिम में पड़ जाते हैं।

इस खतरे से निपटने के लिए, आगरा पुलिस विभाग को निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। प्रेशर हॉर्न पर प्रतिबंध, आवासीय क्षेत्रों, स्कूल क्षेत्रों, अस्पतालों और संवेदनशील क्षेत्रों में प्रेशर हॉर्न पर प्रतिबंध लागू किया जाना चाहिए। नियमों को लागू करें, नियमित गश्त और चेकपॉइंट का संचालन करें। ड्राइवरों को अत्यधिक हॉर्न बजाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करें। साथ ही, एक व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए अधिकारियों, हितधारकों और समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ काम करें।

सामाजिक कार्यकर्ता पद्मिनी अय्यर ने पुलिस से आग्रह किया है कि वे इस चिंता का तुरंत समाधान करें तथा कानून व व्यवस्था को बनाए रखते हुए सार्वजनिक हितों की रक्षा करें। निवासी एक शांतिपूर्ण रहने के माहौल की मांग करते हैं, जो लगातार हॉर्न बजाने की समस्या से मुक्त हो।

आगरा में हॉर्न की समस्या नागरिकों और अधिकारियों दोनों के लिए एक चेतावनी है। हमें ध्वनि प्रदूषण नियमों के प्रवर्तन को प्राथमिकता देनी चाहिए और जिम्मेदार ड्राइविंग आदतों को बढ़ावा देना चाहिए। साथ मिलकर काम करके, हम वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, अधिक सामंजस्यपूर्ण समाज बना सकते हैं।

शहर हॉर्न की समस्या से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है। बदलाव की तत्काल आवश्यकता को पहचानना अति आवश्यक है।



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