इस समय दुनियाभर में एक करोड़ से अधिक लोग पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त हैं। यह बीमारी मुख्यत 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में पाई जाती है। भारत में भी इनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है।
पार्किंसन के कारण चलने-फिरने की गति धीमी पड़ जाती है, मांसपेशियां सख्त हो जाती है और शरीर में कंपन की समस्या पैदा हो जाती है। साथ ही, हाथ-पैरो में जकड़न, चलते समय संतुलन न रख पाना और चलने की गति व आवाज का धीमी होना भी पार्किंसन बीमारी के लक्षण हैं।
पार्किंसन रोग मस्तिष्क की एक बीमारी है। इसके होने पर व्यक्ति की रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। बीमारी समय के साथ बढ़ती जाती है। इस बीमारी की मुख्य वजह शरीर में डोपामेन की कमी होना है।
आज के दिन इस बीमारी का इलाज पूरी तरह संभव है। सही इलाज मिलने से मरीज सामान्य दैनिक जीवन यापन कर सता है। बीमारी के बढ़ने पर और दवाओं का प्रभाव कम होने पर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
यदि आपके आस-पास में इस तरह का कोई मरीज है तो उसे न्यूरोलॉजिस्ट या एक मोमेंट डिसऑर्डर स्पेशलिस्ट के पास लेकर जाएं और उसका उपचार कराएं।
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