ऐसे पहुंची श्री राम लला के मस्तक पर सूर्य की रोशनी...


विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, यानी आईआईए, ने अयोध्या में सूर्य तिलक परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सूर्य तिलक परियोजना के अंतर्गत चैत्र मास में श्री राम नवमी के अवसर पर दोपहर 12 बजे श्री राम लला के मस्तक पर सूर्य की रोशनी डाली गई। इस तरह, आईआईए की टीम ने सूर्य की स्थिति, प्रकाशीय प्रणाली के विशेष डिजायन व अनुकूलन की गणना कर, साइट पर एकीकरण व प्रकाश के संरेखण का प्रदर्शन किया।

Read in English: IIA played crucial role behind Surya Tilak of Sri Ram Lalla

श्री राम नवमी उत्सव की अंग्रेजी कैलेंडर तिथि चंद्र कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष बदलती है, इसलिए, हर साल श्री राम नवमी के दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदल जाती है। विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री राम नवमी की अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख हर 19 वर्ष में दोहराई जाती है। इन दिनों आकाश में सूर्य की स्थिति की गणना के लिए खगोल विज्ञान में विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।

आईआईए टीम ने 19 वर्षों के एक चक्र के लिए श्री राम नवमी के कैलेंडर दिनों की पहचान के लिए गणना की। इसके बाद, इसकी पुनरावृत्ति राम नवमी की कैलेंडर तिथियों पर आकाश में अवस्थिति का अनुमान लगाया।

आईआईए की टीम ने मंदिर के शीर्ष से मूर्ति के ललाट के ऊपरी हिस्से तक सूरज की किरण को पहुंचाने के लिए इस पूरी प्रणाली में दर्पण व लेंस का ऑप्टो-मैकेनिकल डिजाइन बनाया। इसके साथ-साथ आकाश में सूर्य की अवस्थिति के अनुसार पहले दर्पण की स्थिति को बदलने के लिए एक मैनुअल तंत्र ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम का डिजायन भी तैयार किया। महत्वपूर्ण डिजायन संबंधी अनुकूलन के साथ-साथ कई सिमुलेशन भी किए गए।

चूंकि, मंदिर निर्माण का कार्य फिलहाल पूरा नहीं हुआ है, इसलिए, विशेषज्ञों ने मौजूदा संरचना के अनुरूप डिजायन को संशोधित किया है। चार दर्पण और दो लेंस वाला यह डिज़ायन 17 अप्रैल को सूर्य तिलक के लिए बनाया गया था। चार दर्पण और चार लैंस के साथ सूर्य तिलक के अंतिम डिज़ायन का उपयोग मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद किया जाएगा।

उपरोक्त तंत्र को पंचाग के हिसाब से रामनवमी की तिथि 1-2 दिन बदलने पर भी काम करने के हिसाब से डिज़ायन किया गया है। जब बादल या बारिश के कारण धूप नहीं होने पर यह तंत्र काम नहीं करेगा, तब इसे राम नवमी से पहले मैन्‍युअल रूप से शिफ्ट किया जाएगा।

यंत्र का निर्माण बैंगलोर की कंपनी ऑप्टिका द्वारा किया गया है और साइट पर ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम का कार्यान्वयन सीएसआईआर-सीबीआरआई द्वारा किया जा रहा है।



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