बात उस समय की है जब भगवान बुद्ध मृत्यु शैया पर पड़े थे। पास में बैठा हुआ उनका शिष्य आनंद उनकी सेवा कर रहा था। तभी, उनका एक दूसरा शिष्य भद्रक वहां रोते हुए आया।
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