स्वामी विवेकानन्द और राष्ट्रवाद

स्वामी विवेकानन्द और राष्ट्रवाद''केप कैमोरिन में मां कुमारी के मंदिर में इंडियन रॉक के ठीक अंतिम छोर पर जब मैं तल्लीनता के साथ बैठा हुआ था तो मेरे मन में एक विचार आया। हम इतने सारे संन्यासी भटक रहे हैं और लोगों को मेटाफिजिक्स का पाठ पढ़ा रहे हैं- यह सब बावलापन है। क्या हमारे 'गुरुदेव' यह नहीं कहा करते थे 'खाली पेट भजन नहीं होता'? हम एक राष्ट्र के तौर पर अपनी विशेषता खो चुके हैं और यही भारत में कायम सभी तरह की बुराइयों का मुख्य कारण है। हमें आम आदमी की चेतना को जगाना है।''


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