विविधा और व्यंग्य

मिट्टी की उर्वरता स्थिति में लगातार गिरावट हरित क्रांति की दूसरी पीढ़ी की सबसे गंभीर समस्याओं में एक मानी जाती है। मिट्टी की उर्वरता स्थिति में गिरावट मुख्य रूप से सघन फसल प्रणालियों द्वारा पोषक तत्वों को हटाए जाने से आई है जो पिछले कई दशकों के दौरान उर्वरकों एवं खादों के जरिए इतनी अधिक हो गई है कि उनको फिर से भर पाना मुश्किल है। 

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देश में साल दर साल बढ़ते कृषि उत्पादन और सतत् खाद्य सुरक्षा में फसलों के पोषण की अहम भूमिका है। संतुलित पोषण से ऊर्जावान खेत किसान को अधिकाधिक उपज की भेंट देते हैं। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मुख्य पोषक तत्व हैं, जो अधिकांश खेतों में लगभग अनिवार्य रूप से लगाए जाते हैं। इसके अलावा सल्फर, जिंक और बोरोन कुछ महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व हैं, जिन्हें भूमि की जरूरत के हिसाब से किसान खेतों में डालते हैं। इन सबके बीच यदि सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व की बात करें तो नाइट्रोजन का नाम सबसे ऊपर आता है।

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प्रकृति के गर्भ से निकली बस्‍तर की हस्‍तकला देश और दुनिया के हर मेले की शान हैं। देश का पूरा कला जगत इन्‍हें बेहद सराहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बस्‍तर के शिल्‍प कुदरती हैं और अनेक पीढ़ियों से अपने मूल रूप में चले आ रहे हैं। 

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हमारी सभ्‍यता की नियति को संवारने में महिलाओं की भूमिका अहम है। फिर भी ज्‍यादातर महिलाओं की अनदेखी होती है और उन्‍हें असमानता व अभाव से भी जूझना पड़ता है। यदा-कदा उन्‍हें क्रूर हिंसा / अपराध का सामना करना पड़ता है। भारत में परंपराएं / रीति-रिवाज बेटियों के अस्‍तित्‍व को नकारते रहे हैं। (Read in English: Save The Girl Child: She Is An Asset, Not A Liability!)

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14 नवम्‍बर, 2012 को यौन उत्‍पीड़न से बच्‍चों की सुरक्षा (पॉसको) अधिनियम लागू किया गया था, जिसके कारण 18 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों के विरुद्ध यौन हिंसा संबंधी कानूनों में आमूल परिवर्तन हुआ था। अधिनियम के उद्देश्‍य इस प्रकार हैं...

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महापुरुषों का व्यक्तित्व एवं कृतित्व समय एवं स्थान की सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता। स्वामी विवेकानन्द की महिमा ऐसी विलक्षण है कि आज भी न केवल भारतवासी अपितु विदेषी भी उनका नमन स्नेह एवं आदर से करते हैं। 

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