विविधा और व्यंग्य

जनवरी, 9, 1915… अरब सागर की शांत सी लहरों के बीच एक जहाज धीरे-धीरे मुंबई के अपोलो बंदर बंदरगाह की और बढ़ रहा है... समुद्र के किनारे बड़ी तादाद में लोग जहाज की दिशा में टकटकी बांधे "महात्मा, महात्मा" के नारे लगा रहे हैं, "सत्याग्रही" की मद्धम आवाजें माहौल मे जब-तब गूंज उठती हैं... भीड़ का उत्साह बेकाबू होता जा रहा है..., भीड़ के जुनून को देख कर लग रहा है कि वे किसी "देवदूत" का इंतजार कर रही है जो आजादी की 'क़ैद कर दी हवा' उनके लिए खोल देगा, उन्हें बेड़ियों से आजाद कर देगा... लेकिन, दूर जहाज पर लंदन के रास्ते दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौट रहा दुबला-पतला सा एक व्यक्ति चुपचाप खड़ा है, वह देख तो भीड़ की तरफ रहा है, उसकी नजरें भले ही उनकी तरफ है लेकिन मन कहीं और भटक रहा है.., समुद्र शांत है लेकिन उसके मन में बवंडर उठ रहे हैं। उसके मन में लगातार बीते कल के साथ-साथ आने वाले कल को लेकर विचारों का मंथन चल रहा है।

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प्रयाग में शिक्षित सनातन हिंदू परिवार में 25 दिसंबर, 1861 को जन्मे मदन मोहन मालवीय को भारत के असाधारण एवं श्रेष्ठ सपूत के रूप में मान्यता हासिल है। (Read in English: Pt. Madan Mohan Malaviya: The Man, The Spirit, The Vision…)

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पान का उपयोग हमारे देश में पूजा-पाठ के साथ-साथ खाने में भी होता है। खाने के लिए पान पत्ते के साथ-साथ चूना, कत्था तथा सुपारी का प्रयोग किया जाता है। 

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महात्‍मा गांधी का नाम चाहे हमने सुना हो या बोला हो, इससे जुड़ा पहला शब्‍द जो हमारे दिमाग़ में आता है वह है ‘अहिंसा’। उसी तरह जब हम सरदार वल्‍लभभाई पटेल का नाम लेते हैं, तो हमारे दिमाग़ में जो शब्‍द उभरता है, वह है ‘लौह पुरुष’। (Read in English: Statue Of Unity, An Icon Of India)

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राजस्‍थान के हाड़ौती अंचल में बारां जिले की एक महिला ने कृषि पैदावार के बाद बचे बेकार कचरे एग्रोवेस्‍ट से एग्रोफ्यूल बनाने की एक अच्‍छी शुरुआत की है। इस उद्यम से न केवल उसे धनालाभ हो रहा है कि अपितु आसपास के किसानों को भी कृषि अपशिष्‍टों से अतिरिक्‍त आय होने लगी है। इसके अलावा इस कार्य से डेढ़ दर्जन स्‍थानीय लोगों को भी रोजगार मुहैया हुआ है। अंचल के बारां जिले के पचेल खुर्द गांव की उक्‍त महिला सुनीता मीणा की सफलता की कहानी उन्‍हीं की जुबानी-

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भारत की स्‍वतंत्रता हर भारतीय का सपना था जो ब्रिटिश शासन के अधीन अपना जीवन जी रहे थे। अंतत: हमें अपने महान स्‍वतंत्रता सेनानी और करोड़ों आम भारतीय लोगों की पीड़ा और त्‍याग के परिणामस्‍वरूप साम्राज्‍यवादी शासन की बेडि़यों से मुक्ति मिली। ऐसे में जब हमारा राष्‍ट्र ऐतिहासिक स्‍वाधीनता संग्राम को याद कर रहा है, महिलाओं के योगदान को याद किए बिना इसका क्रम अधूरा रहेगा।

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