धर्म, कला और संस्कृति

अप्रैल और मई महीने में जब तापमान बढ़ जाता है और ग्रामीण क्षेत्र में तेज धूप छाई रहती है तब उत्‍तर केरल के मालाबार क्षेत्र में गांव और कस्‍बे विभिन्न वाद्यवृदों की आवाज से गूंज उठते हैं। ये ध्‍वनि होती है रंगीन और संगीतमय "पूरम त्‍यौहार" के मौके पर बजाए जाने वाले वाद्यवृदों की, जो इस अवसर पर खासतौर से सुनाई पड़ते हैं।

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रघुराजपुर, कला प्रेमियों का स्‍वप्‍न स्‍थान पूरा गांव जैसे कला और दस्‍तकारी का खुला संग्रहालय हो। इस गांव में 100 से अधिक परिवार रहते हैं और उनमें ज्‍यादातर परिवार किसी न किसी प्रकार की दस्‍तकारी से जुड़े हैं। यहां के शिल्‍पी कपड़े, कागज और ताड़ के पत्‍तों पर अपने कुशल हाथों से जादू कर देते हैं।

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बिस्मिल्लाह!! दादा रसूल बख्श खान के होंठों से नवजात को देखकर यही शब्द निकला था। ...और उस नन्हे बच्चे का नाम बिस्मिल्ला खान हो गया। बड़ा होने पर बिस्मिल्ला खान ने पिता-दादा-परदादाओं की शहनाई-वादन की कला-परंपरा को आगे बढ़ाया और समूचे देश की आवाज बन गए।

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होली का त्योहार निकट है और मथुरा-वृंदावन के इलाकों में होली की सरगर्मियां पूरे उफान पर हैं। बाजारों और घरों में होली के आयोजन के लिए तैयारियां चरम सीमा पर हैं। रोजाना के दुख-दर्दों को भुलाकर लोग महीनेभर तक त्योहारी मस्ती में सराबोर रहने की तैयारी में जुटे हुए हैं।  

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रंग गुलाल का अनूठा पर्व होली का त्यौहार अपने देश में पूरे आनंद के साथ मनाया जाता हैं इसमें ब्रज की होली अपने आप में अनूठी होली होती है। यहां की होली अनोखी परम्पराओं के लिए पूरे देश में लोकप्रिय है।  

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  मथुरा : मौसम परिवर्तन की प्रतीक होली के दिन सभी बंधन टूट जाते हैं, कोई भी बाध्यता नहीं रहती इस दिन सभी रंगों में सराबोर हो जाते हैं। रंगो में पुते विचित्र और हास्यास्पद चेहरे लिए लोगों की टोली सड़कों पर नजर आती है। इसे मूर्ख दिवस की संज्ञा दी गई है, हर स्तर की बेवकूफी इस दिन क्षम्य होती हैं।

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