विज्ञान / तकनीक / गैजेट्स

ऊंचे-ऊंचे नारियल के पेड़ व उन पर लगे नारियल जिनका पानी तो आपने जरूर पीया होगा, लेकिन क्या आपको मालूम है कि नारियल के इस पेड़ से एक और अमूल्य उत्पाद भी हमें प्राप्त होता है, जिसका नाम है 'नीरा'। इसे प्राप्त करने के लिए बड़ी मशक्कत से नीरा टैपर्स को नारियल के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है, वह भी दिन में कई बार...

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साल 1969 में जिस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने सफर की शुरुआत बैलगाड़ी से की थी आज वही इसरो दुनिया के कई देशों के अनगिनत विदेशी उपग्रह अंतरिक्ष में भेज चुका है। उपग्रह भेजने का सिलसिला 'आर्यभट्ट' के साथ शुरू हुआ, जिसके मिशन का नेतृत्व प्रो. यूआर राव ने किया था।

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देश में बढ़ते प्रदूषण, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि के बीच दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्टार्टअप कंपनी इंक्युबेटेड स्टार्टप गेलियोस मोबिलिटी द्वारा विकसित किया गया इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर 'होप' आईआईटी छात्रों द्वारा तैयार किया गया है। यह इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर 20 पैसे की दर से एक किमी की दूरी तय करता है...

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भारतीय भौतिकी विज्ञान में केएस कृष्णन का अतुलनीय योगदान है। नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन के रमन प्रभाव के सैद्धान्तिक पक्ष में भी उन्होंने अपना योगदान दिया है। इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए अभी सब्सक्राइब करें, महज एक रुपये में, अगले पूरे 24 घंटों के लिए...

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'शून्य' की खोज हो या 'ज्यामिति' की या 'पेड़ों में जीवन' का पता लगाना हो, अथक मेहनत और शोध के दम पर ऐसी उपलब्धियां भारतीय हमेशा हासिल करते रहे हैं, लेकिन श्रेय हमेशा कोई दूसरा ले जाता रहा है। इसी कड़ी में, अब एक और शोध व खोज जुड़ने वाली है, पादपों की खोज। जी हां, नई जानकारियों से पता चला है की भारतीय ''ऋषि पराशर'' ने ''थिओफ्रैस्टस'' से वर्षों पहले 'वनस्पति विज्ञान' पर प्रामाणिक ग्रंथ लिखे हैं। ग्रीस के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी, थिओफ्रैस्टस को विश्वभर में वनस्पति विज्ञान के जनक के रूप में सम्मान के साथ याद किया जाता है, लेकिन इसके लिए ''पराशर ऋषि'' ने प्रमाणिक ग्रंथ लिखा है, जिनमें तमाम पादपों की पहचान, जड़, तने को लेकर बहुत ही सूक्ष्म तरीके से की गई है। इस नए शोध के आधार पर कहना होगा कि भारत ही वह पहला देश है, जिसे 'वनस्पति शास्त्र' का पितामह देश और पराशर ऋषि को ऐसे वैज्ञानिक के रूप में गिना जाएगा, जिन्होंने सबसे पहले ''वनस्पति विज्ञान'' को लिपिबद्ध करने का काम किया है। इसलिए सही मायने में ‘फादर ऑफ बॉटनी’ पराशर ऋषि ही हैं। इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए अभी "सब्सक्राइब करें", महज एक रुपये में, अगले पूरे 24 घंटों के लिए...

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वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि बीन परिवार के एक पौधे की पत्तियों से निकाली गई प्राकृतिक नीली डाई इंसानी आंखों को हानिकारक लेजर विकिरण से बचाने में सक्षम है। इसका उपयोग संभावित हानिकारक विकिरण को कमजोर करने और आंखों या अन्य संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों को ऐसे वातावरण में आकस्मिक क्षति से बचाने के लिए उपयोगी है, जहां संभावित हानिकारक विकिरण उपयोग में हैं। इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए अभी सब्सक्राइब करें, महज एक रुपये में, अगले पूरे 24 घंटों के लिए... 

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