महाकुंभ का केंद्र प्रयागराज, इतिहास और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण एक नगर है। तीर्थस्थल के रूप में इस नगर का अत्याधिक महत्व है। इसे 'तीर्थराज' या तीर्थस्थलों का राजा कहा जाता है। प्राचीन ग्रंथों और यात्रा वृत्तांतों में भी इसका काफी उल्लेख मिलता है।
सातवीं शताब्दी में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने प्रयागराज को अपार प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और सांस्कृतिक गहराई वाला क्षेत्र बताया था। त्रिवेणी संगम और वहां किए जाने वाले अनुष्ठानों के बारे में उनके अवलोकन महाकुंभ के आध्यात्मिक उत्साह से मेल खाते हैं।
ह्वेनसांग के लेखन में त्रिवेणी संगम को आस्था और समुदाय के मिलन स्थल के रूप में दर्शाया गया है। उन्होंने प्रयागराज में आयोजित भव्य उत्सवों का वर्णन किया है। उनके वर्णन में शासकों और धनी व्यापारियों सहित पांच लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे। उन लोगों ने पवित्र जल में स्नान करने के बाद और उदारतापूर्वक दान दिया था। यह परंपरा आज भी फल-फूल रही है। लाखों लोग अपनी आत्मा को शुद्ध करने और कालातीत एक प्राचीन अनुष्ठान में भाग लेने के लिए संगम पर एकत्रित होते हैं।
प्रयागराज में कुंभ मेला 2019 की सफलता से इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को अत्यधिक बल मिला और इसे विभिन्न मोर्चों पर मान्यता और प्रशंसा मिली। यह आयोजन न केवल लाखों लोगों की भक्ति का प्रमाण था, बल्कि संगठनात्मक उत्कृष्टता और वैश्विक प्रशंसा का भी प्रदर्शन था। विभिन्न देशों की सरकारों और राजदूतों ने कुंभ मेला 2019 की जमकर सराहना की थी। इसके अलावा, इसने तीन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और 70 देशों के मिशन प्रमुखों से प्रशंसा प्राप्त की।
महाकुंभ 2025 इस बार कई विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। मेला प्राधिकरण ने विभिन्न श्रेणियों में चार अलग-अलग विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना बनाई है। इसमें एक ही आयोजन में श्रद्धालुओं की सबसे बड़ी भीड़ का रिकॉर्ड बनने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा, नेत्र परीक्षण और चश्मा वितरण का विश्व रिकॉर्ड भी बनने की उम्मीद है। ऐसा पहली बार होगा जब एक ही आयोजन में पांच लाख लोगों की आंखों की जांच और तीन लाख चश्मे बांटे जाएंगे। इस उद्देश्य से, नागवासुकी के पास सेक्टर पांच में लगभग 10 एकड़ में भव्य ‘नेत्र कुंभ’ लगाया गया है। पिछले नेत्र कुंभ ने अपनी उपलब्धियों के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त किया था। इस वर्ष के नेत्र कुंभ का लक्ष्य और भी उच्च मानक स्थापित करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान सुरक्षित करना है ।
उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार स्पेन के मैड्रिड और जर्मनी के बर्लिन में प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पर्यटन व्यापार मेलों में महाकुंभ 2025 को प्रदर्शित कर रही है। 24-28 जनवरी के लिए निर्धारित अंतरराष्ट्रीय पर्यटन व्यापार मेला और 4-6 मार्च तक आईटीबी बर्लिन मेला, महाकुंभ और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित विषयगत मंडपों को आयोजित करेगा। ये 40 वर्ग मीटर के मंडप राज्य की विरासत का सार प्रस्तुत करेंगे और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की भव्यता को देखने के लिए वैश्विक पर्यटकों को आमंत्रित करेंगे। व्यापारी से व्यापारी और व्यापारी से उपभोक्ता सत्रों के लिए वीवीआईपी लाउंज का समावेश अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ रणनीतिक जुड़ाव पर जोर देता है। विभिन्न भाषाओं में प्रचार सामग्री का वितरण यह सुनिश्चित करता है कि महाकुम्भ का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व विविध दर्शकों तक पहुंचे।
महाकुंभ एक आयोजन से कहीं अधिक है। यह एक ऐसी जीवंत विरासत है जो साझा मान्यताओं और परंपराओं के माध्यम से पीढ़ियों को एक साथ जोड़ती है। यह एक ऐसा अनुभव है जो न केवल तीर्थयात्रियों को बल्कि सामूहिक आस्था की शक्ति को देखने वाले दर्शकों को भी बदल देता है। सदियों से प्रयागराज ने विद्वानों, यात्रियों और आध्यात्मिक साधकों सहित दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचा है। महाकुंभ का उद्देश्य इस ऐतिहासिक संबंध को फिर से जगाना है। साथ ही, दुनिया को शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व के सार्वभौमिक मूल्यों को फिर से खोजने के लिए आमंत्रित करना है।
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