जूतों पर जीएसटी दर बढ़ाने का व्यापारी कर रहे हैं विरोध


आगरा। जूते पर जीएसटी पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किए जाने के बाद घरेलू जूता उद्योग से मिलने वाला राजस्व बढ़ने के बजाय कम हो गया है। सभी पांच वर्गों में करीब 1085 व्यापारियों ने अपना जीएसटी पंजीकरण रद्द करा लिया है।

द आगरा शू फैक्टर्स फैडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा ने जयपुर हाउस स्थित श्रीराम पार्क में आगरा शू फैक्टर्स फैडरेशन के नेतृत्व में आयोजित अखिल भारतीय संयुक्त जूता संघ तथा सोल कम्पोनेंट व फोम एसोसिएशन द्वारा आयोजित महासभा में बताया कि सरकार ने जूते पर जीएसटी लगाते वक्त आश्वासन दिया था कि जो जीएसटी कपड़े पर लगेगा वही जूतों पर लगाया जाएगा। भारत में घरेलू जूते की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति आगरा करता है, जो अब घटकर 50 प्रतिशत से भी कम हो गई है।

दिल्ली एसोसिएशन के अंकित अरोड़ा कहते हैं कि 12 फीसदी जीएसटी के जरिए सरकार व्यापार को दबाने का प्रयास कर रही है। मदुरई के जय कुमार ने जीएसटी दरों को कम करने की मांग रखी है। जयपुर एसोसिएशन के राजकुमार आसवानी ने बताया कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो सड़कों पर आंदोलन होगा। सुनील रूपानी के अनुसार पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी, उसके बाद कोराना और अब जीएसटी दरों में वृद्धि से जूता उद्योग में लगातार गिरावट आ रही है।

कार्यक्रम संयोजक अजय महाजन ने संत रैदास से लेकर आज तक के जूता उद्योग का वर्णन करते हुए कहा कि जब भी जूता व्यापार पर चोट पहुंचेगी, तो सभी एकजुट होकर उन बाधाओं को एकजुट होकर पार करेंगे। कानपुर एसोसिएशन के गुरमीत सिंह ने कहा कि सरकार को व्यापारियों का सहयोग करना चाहिए, अन्यथा समस्याएं और बढ़ती जाएंगी। धर्मेन्द्र सोनी ने सभी छोटी और बड़ी इकाइयों को इस आंदोलन में एक साथ एक मंच पर आने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में दिल्ली, लातूर, कानपुर, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा व आंध्र प्रदेश विभिन्न जूता उद्यमी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।

नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष अतुल गुप्ता ने आगरा के सभी उद्यमियों की ओर से सहयोग करने का आश्वासन किया। 



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