भारत में विकास की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन क्या सिर्फ सड़कों और हवाई अड्डों की गिनती बढ़ाने से हमारा समाज वास्तव में प्रगति कर रहा है? क्या जुमलेबाजी, बड़बोलापन, चालबाजी, और ड्रामेबाजी से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं? नहीं, असली प्रगति तभी होगी जब हम अपने दिल और दिमाग को दुरुस्त करेंगे...
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