दुनिया में जब भी किसी ऐसे आंदोलन को याद करते हैं जिन आंदोलनों में मनुष्य अपने ऊपर थोपे गए कई बंधनों से मुक्ति के लिए एकजूट होता है तो उस आंदोलन का कोई न कोई गीत याद आने लगता है। यही वास्तविकता है कि कोई भी आंदोलन गीतों के बिना पूरा नहीं होता है। काव्य धारा के कई रूप हैं और वे कविता, नज्म़, गज़ल, गीत आदि के रूप में जाने जाते हैं। बल्कि यूं भी कहा जाए कि नारे भी अपनी काव्यत्मकता से ही यादगार बन पाते हैं। ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ आंदोलनों के लिए न मालूम कितने गीत लिखे गए। इस विषय पर कई शोध हुए हैं लेकिन तमाम तरह के शोधों के बावजूद ये लगता है कि वे उस दौरान लिखे गए सभी गीतों को समेट नहीं पाए।
Read More