भारत में संन्यास की विशिष्ट परंपरा रही। जगत में रहते हुए भी वैराग्य के मार्ग का चुनाव करने वाले, संन्यासी कहलाते हैं। वे अपना समूचा जीवन, मनुष्य और समाज के निमित्त ही अर्पण करते हैं और दिव्यता की प्राप्ति के लिए भी साधनारत रहते हैं। ऐसे संन्यासियों के पास अपने कई प्रश्न लेकर सामान्य जन भी जाते हैं। संन्यासियों के आध्यात्मिक उपदेश और उनके कृतित्व का अवलोकन कर, मनुष्य मन का कई संदेह दूर हो जाता है। इससे जीवन यात्रा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसे ही एक संन्यासी का नाम है स्वामी पुरुषोत्तमानंद है। इनसे अधिसंख्य छात्र, युवा और साधक जन प्रेरणा लेते रहे हैं। इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए अबी सब्सक्राइब करें, महज एक रुपये में अगले पूरे 24 घंटों के लिए...
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