धर्म, कला और संस्कृति

ब्रज क्षेत्र में गुरु पूर्णिमा को एक लोक पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन मुड़िया पूनों मेले के आयोजन के पीछे भगवान वेद व्यास का जन्म दिवस व चैतन्य महाप्रभु सम्प्रदाय के शिष्य आचार्य सनातन गोस्वामी का आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को निर्वाण और गिरिराज गोवर्धन को साक्षात श्रीकृष्ण का प्रतिरूप माने जाने की अटूट आस्था है।

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राजस्थान की अरावली पर्वतमाला के मध्य में अनोखा परशुराम महादेव मंदिर स्थित है। माना जाता है कि त्रेता युग में परशुराम इस मंदिर में बनी गुफा के रास्ते से यहां आए थे। यहां बैठकर उन्होंने भगवान शिव की आराधना की और उन्हें प्रसन्न करके अमरत्व का वरदान व प्रसिद्ध फरसा सहित कई दिव्यास्त्र प्राप्त किए। 

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ब्रजभूमि में मौजूद कोकिलावन में शनि देव की कृपा बरसती है। हर शनिवार को लाखों श्रद्धालु कोकिलावन धाम की परिक्रमा करते हैं। मान्यता है कि यहां बने सूर्य कुंड में स्नान के बाद शनिदेव के दर्शन करने वाले व्यक्ति पर शनिदेव की काली छाया कभी नहीं पड़ती।

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वृन्दावन में भी आपको ऐसे कई आश्चर्य दिखाई दे जाएंगे। यहां कई ऐसे सन्त भी हुए हैं, जिनके चमत्कारों के किस्से हमेशा चर्चा में रहते रहे हैं। आज भी अनेक संत हैं, जिनके आश्चर्यजनक चमत्कारों को यहां आने वाले श्रद्धालु अक्सर देखते रहते हैं। ऐसा ही एक चमत्कार है, पागल बाबा का मंदिर और उसके पागल बाबा। पागल बाबा और उनके इस मंदिर के निर्माण की कहानी दोनों ही बेहद दिलचस्प है।

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वृंदावन में बांके बिहारी जी का विशाल मंदिर है, जहां देश-विदेश से भक्त सिर्फ उनकी एक झलक पाने के लिए यहां आते हैं।

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भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में एक ऐसा स्थान भी है, जहां भक्त ध्रुव ने अपनी अटल तपस्या की थी। मथुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे-2 से होते हुए आप महोली गांव की तरफ बढ़ेंगे तो राह में आपको प्राचीन ध्रुव टीला मिलेगा। बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी के ढेर से बने इस टीले की लंबाई करीब 200 फुट और ऊंचाई करीब 150 फुट है। माना जाता है ध्रुव ने यहीं पर भगवान नारायण का आह्वान किया था...

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